रांची: झारखंड के पूर्व मुख्य सचिव सजल चक्रवर्ती को चारा घोटाले के एक मामले में दोषी पाए जाने के बाद पांच साल की सश्रम कारावास की सजा सुनाई गई है। रांची की सीबीआई की विशेष अदालत ने बुधवार को यह सजा सुनाई। विशेष न्यायाधीश शंभू लाल साव की अदालत ने चार लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया। जुर्माने की राशि जमा नहीं करने पर एक साल अतिरिक्त साधारण सजा काटनी होगी।
मामला चाईबासा कोषागार से 37 करोड़ से अधिक की अवैध निकासी का है। उस समय सजल चाईबासा के उपायुक्त थे। 14 नवंबर को अदालत ने सजल को दोषी करार दिया था। सजल ने कोर्ट द्वारा सजा सुनाने के बाद कहा कि मैं आभारी हूं कि मेरी बात कोर्ट ने सुनी। सुनवाई के दौरान मेरी ओर से मजबूती से पक्ष रखा गया। उम्मीद थी कि मुझे रियायत मिलेगी। कोर्ट ने जो फैसला दिया है, मैं उसका सम्मान करता हूं।
18 माह की सजा काट चुके
चारा घोटाला मामले में सजल पहले ही 18 माह की सजा काट चुके हैं। उनके अधिवक्ता ने बताया कि पांच साल की सजा में यह भी जुड़ जाएगा। इस हिसाब से अब सजल को 42 माह की जेल में गुजारनी पड़ेगी। उन्होंने सीबीआई के विशेष न्यायाधीश शंभूलाल साव की अदालत में 30 मई 2017 को आत्मसमर्पण किया था।
लालू, जगन्नाथ मिश्र समेत 37 लोगों को पहले ही हो चुकी है सजा
चाईबासा कोषागार से अवैध निकासी के मामले में पूर्व मुख्य सचिव सजल चक्रवर्ती के पहले राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद, पूर्व मुख्यमंत्री डॉ जगन्नाथ मिश्र समेत 37 लोगों को वर्ष 2013 में ही सजा सुनाई जा चुकी है। सजल भी इस मामले में आरोपी थे, लेकिन हाईकोर्ट ने उनके खिलाफ तय आरोपों को खारिज कर दिया था। हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सीबीआई सुप्रीम कोर्ट गई। सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश को खारिज करते हुए सजल के मामले की फिर से सुनवाई करने का आदेश दिया। इसके बाद सीबीआई की विशेष अदालत ने मामले की सुनवाई पूरी करने के बाद सजल को सजा सुनाई।
क्या है मामला
चाईबासा कोषागार से अवैध निकासी से संबंधित मामले में सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश शंभू लाल साहू की अदालत में 14 नवंबर को सजल को दोषी ठहराया था। इस मामले में पूरक अभिलेख की सुनवाई चल रही थी। इसमें सजल अकेले आरोपी हैं। आरोपी लालू प्रसाद डॉ जगन्नाथ मिश्र सहित अन्य आरोपियों को वर्ष 2013 में ही सजा सुनाई जा चुकी है। सजा के बिंदु पर सुनवाई के दौरान बचाव के अधिवक्ता सजल के खिलाफ कम से कम सजा दिलाने की मांग न्यायालय से करनी थी।
बचाव पक्ष सजल के स्वास्थ्य खराब का हवाला न्यायालय में देने की तैयारी में था, ताकि उन्हें कम सजा दी जाए। वहीं, सीबीआइ की ओर से विशेष लोक अभियोजक बीएमपी सिंह सजल चक्रवर्ती को अधिक से अधिक सजा दिलाने की मांग न्यायालय से करते। इनका मामना है कि एक लोक सेवक होते हुए सजल चक्रवर्ती ने बड़े मामले में संलिप्त रहे हैं।
सीबीआइ के विशेष लोक अभियोजक बीएमपी सिंह ने बताया कि सजल के खिलाफ कोषागार से अवैध निकासी का नजरअंदाज करने आपूर्तिकर्ता से लैपटॉप लेने का आरोप था। धोखाधड़ी करने, सरकारी राशि गबन करने, जाली कागजात का इस्तेमाल करने व उसे व्यवहार में लाने, आपराधिक षड्यंत्र करने के मामले में सजल चक्रवर्ती को अदालत ने दोषी ठहराया है। सरकारी पद का दुरुपयोग करने व दूसरे से लाभ लेने के आरोप को भी न्यायालय ने सही पाया है।
सजल चक्रवर्ती वर्ष 1992 से 1995 के बीच चाईबासा के उपायुक्त थे। इस दौरान उनकी जानकारी में पशुपालन विभाग से अत्यधिक निकासी हुई। उन्होंने तत्कालीन जिला पशुपालन पदाधिकारी बृज नंदन शर्मा एवं आपूर्तिकर्ताओं से मेलजोल कर इसे नजरअंदाज किया। इससे कोषागार से 37 करोड़ 70 लाख 39 हजार 743 रुपए की निकासी कर ली गई। सजल चक्रवर्ती उपायुक्त होते हुए कोषागार से निकासी होने दी। उन्होंने एक आपूर्तिकर्ता से लैपटॉप में प्राप्त किया।
जेल में डॉक्टरों की देखरेख में हैं पूर्व मुख्य सचिव
चारा घोटाले के एक मामले में दोषी करार दिए जा चुके राज्य के पूर्व मुख्य सचिव सजल चक्रवर्ती रांची के बिरसा मुंडा केंद्रीय कारागार में हैं। उन्हें वीवीआइपी कैदियों संग रखा गया है। जिस सेल में उन्हें रखा गया है उसमें पूर्व विधायक सावना लकड़ा भी हैं। फिलहाल, जेल प्रशासन उनके स्वास्थ्य को लेकर सतर्कता बरत रहा है।