रांची: केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल और मुख्यमंत्री रघुवर दास ने सोमवार को झारखंड माइनिंग शो-2017 का उदघाटन किया। एचइसी के प्रभात तारा मैदान में चल रहे इस तीन दिवसीय कार्यक्रम में देश-विदेश की 60 कंपनियों ने अपने स्टॉल लगाये हैं।
उदघाटन समारोह के बाद पत्रकारों से बात करते हुए मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहा कि भ्रष्टाचारियों, अपराधियों और नक्सलियों की संपत्ति सरकार जब्त करेगी। इस संपत्ति का उपयोग सरकार स्कूल, हॉस्पिटल जैसे जनकल्याणकारी कार्यों के लिए करेगी।
उन्होंने कहा कि इससे संबंधित एक्ट को राष्ट्रपति ने मंजूरी दे दी है। सरकार ने इडी को भी नक्सलियों की संपत्ति की जांच की अनुशंसा की है। मुख्यमंत्री ने कहा राज्य में विस्थापन की समस्या भाजपा सरकार की देन नहीं है। यह पूर्ववर्ती सरकार की देन है, जिसे वर्तमान सरकार को भुगतना पड़ रहा है। सरकार ने विस्थापितों के पुनर्वास को लेकर बेहतर नीति बनायी है।
सरकार विस्थापितों को मालिकाना हक देगी। उन्होंने कहा झारखंड में निवेशकों के लिए जमीन की कोई कमी नहीं है। अडाणी ग्रुप का गोड्डा में लगनेवाले पावर प्लांट शिलान्यास के लिए तैयार है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना से समय मांगा गया है। जैसे ही दोनों का समय मिल जायेगा, इसका शिलान्यास किया जायेगा। 1600 मेगावाट क्षमता वाले मेगा पावर प्लांट से बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार मिलेगा। अगले दो-तीन दिन में सोना की खदान की नीलामी की जायेगी। दिसंबर माह तक 11 कोल ब्लॉक की नीलामी पूरी कर ली जायेगी।
उदघाटन समारोह में ग्रामीण विकास मंत्री नीलकंठ सिंह मुंडा, पेयजल मंत्री चंद्रप्रकाश चौधरी,भू राजस्व मंत्री अमर बाउरी, रूसी काउंसेलेंट जेनरल एलेक्स डाकिंग, सांसद रामटहल चौधरी, विधायक नवीन जायसवाल, रामकुमार पाहन, खादी बोर्ड के अध्यक्ष संजय सेठ, वेदांता के सीइओ सोविक मजूमदार, अडाणी ग्रुप के सीइओ राजेश झा, एचसीएल के निदेशक एसके भट्टाचार्य, एनटीपीसी के निदेशक कुमलमनी बिस्वाल, राज्यसभा सांसद महेश पोद्दार, रांची की मेयर आशा लकड़ा, धनबाद के मेयर शेखर अग्रवाल समेत अन्य उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री ने 16 मार्च 2015 को विधानसभा के बजट सत्र में भ्रष्ट अधिकारियों, अपराधियों की संपत्ति जब्त करने के लिए विशेष कानून बनाने की घोषणा की। इसके बाद निगरानी ब्यूरो (अब एसीबी) ने अप्रैल 2015 में नियमावली का प्रारूप तैयार किया। विधि विभाग की सहमति के बाद कैबिनेट ने इसे दो जून 2015 को पास किया। इसके बाद सरकार ने इसे राज्यपाल के पास भेजा।
अध्यादेश के सहारे इसे जल्द लागू करने की इच्छा जतायी। राज्यपाल ने नियमावली में कुछ संशोधन के सुझाव दिये। इस पर राष्ट्रपति की सहमति लेने को बाध्यकारी करार दिया। आवश्यक संशोधन के बाद राष्ट्रपति ने अगस्त 2015 में इस पर सहमति दी। इसके बाद सरकार ने अध्यादेश का प्रारूप तैयार कर राज्यपाल की सहमति ली।
सरकार ने 28 जनवरी 2016 को अध्यादेश के सहारे इस कानून को लागू किया। अध्यादेश की अवधि समाप्त होने के बाद इसे विधेयक के रूप में पारित करा राष्ट्रपति की सहमति के लिए भेजा गया था।