नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट और चीफ जस्टिस के बारे में सांसद निशिकांत दुबे के विवादित बयान को लेकर अवमानना की कार्यवाही की मांग शुरू हो गई है। सुप्रीम कोर्ट के एक एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड ने अटॉर्नी जनरल को चिट्ठी लिख कर अवमानना के मुकदमे की अनुमति मांगी है।
अटॉर्नी जनरल के पास पहुंच गई चिट्ठी
दरअसल, कंटेम्प्ट ऑफ कोर्ट एक्ट, 1971 की धारा 15(1)(बी) और अवमानना के मामलों के लिए सुप्रीम कोर्ट के 1975 में बने नियमों में से नियम 3(सी) के तहत अटॉर्नी जनरल या सॉलिसिटर जनरल की सहमति के बाद ही सुप्रीम कोर्ट की अवमानना की कार्यवाही शुरू हो सकती है। ऐसे में वकील ने अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमनी को पत्र लिख कर बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे के बयान की जानकारी दी है।
पत्र में बताया गया है कि दुबे ने सुप्रीम कोर्ट पर संसद के काम में अतिक्रमण का आरोप लगाया है। वह सुप्रीम कोर्ट पर अराजकता फैलाने का भी आरोप लगा रहे हैं।
वकील ने लिखा है, "संविधान में सुप्रीम कोर्ट को दायित्व दिया गया है कि वह किसी कानून की संवैधानिकता की जांच करे। निशिकांत दुबे बातों को गलत तरीके रख कर सुप्रीम कोर्ट को बदनाम करने की कोशिश कर रहे हैं।"
कर्नाटक हिजाब केस और वक्फ संशोधन कानून मामले समेत कई बड़े मामलों से जुड़े रहे एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड ने कहा है कि निशिकांत दुबे ने सुप्रीम कोर्ट पर मंदिरों के मामले में कागज मांगने और मस्जिदों को छूट देने का आरोप लगाया है। ऐसा कह कर वह समाज में सुप्रीम कोर्ट के प्रति सांप्रदायिक आधार पर अविश्वास फैला रहे हैं।
अवमानना की कार्यवाही शुरू करने की अपील
चिट्ठी में यह भी कहा क्या है कि दुबे ने चीफ जस्टिस संजीव खन्ना का नाम लेकर उन्हें देश में सिविल वार के लिए जिम्मेदार भी बताया है। इस तरह के सभी वक्तव्य कंटेंप्ट आफ कोर्ट एक्ट की धारा 2(सी)(i) के तहत सुप्रीम कोर्ट की अवमानना हैं। इसलिए, अटॉर्नी जनरल निशिकांत दुबे के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू करने की अनुमति दें। ध्यान रहे कि यूपी के पूर्व आईपीएस अमिताभ ठाकुर ने भी सुप्रीम कोर्ट में इस मसले पर याचिका दाखिल की है। उन्होंने अटॉर्नी जनरल को अनुमति के लिए पत्र भी भेजा है।