हैदराबाद: केन्द्रीय कानून मंत्री डीवी सदानंद गौडा ने आज (मंगलवार) कहा कि तेलंगाना के लिए नये हाईकोर्ट के गठन में केन्द्र की कोई भूमिका नहीं है। गौडा ने सत्तारूढ़ तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) के इस आरोप को खारिज किया कि नरेंद्र मोदी सरकार इस मुद्दे पर ‘असंवेदनशील’ है और राजनीतिक दबाव में इस मुद्दे को खींच रही है। केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि इस मुद्दे पर राज्य सरकार का रूख ‘अस्वीकार्य एवं बर्दाश्त से बाहर है।’ उन्होंने कहा कि नये हाईकोर्ट का गठन मुख्यमंत्री और आंध्र प्रदेश तथा तेलंगाना के साझा हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के हाथ में है। गौडा ने कहा, ‘यह हमारे हाथों में नहीं है। तेलंगाना के लिए नए हाईकोर्ट का गठन मुख्यमंत्री और उस हाईकोर्ट (आंध्रप्रदेश और तेलंगाना के लिए यह साझा है, और जून 2014 में पूर्व राज्य के विभाजन के बाद जिसका विभाजन नहीं हुआ है) के मुख्य न्यायाधीश के हाथों में है।’ इससे पहले आज टीआरएस सांसद के. कविता ने आरोप लगाया कि आंध्रप्रदेश के विभाजन के बाद हाईकोर्ट के विभाजन के मुद्दे पर केन्द्र ‘असंवेदनशील’ है और उनके पिता एवं तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चन्द्रशेखर राव इसके खिलाफ दिल्ली में विरोध प्रदर्शन से भी नहीं हिचकेंगे। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू के राजनीतिक दबाव में केन्द्र द्वारा इस मामले को खींचा जा रहा है।
गौडा से जब संपर्क किया गया तो उन्होंने फोन पर कहा, ‘अगर मुख्यमंत्री तमाम बुनियादी ढांचा और अन्य चीजें मुहैया कराते हैं तो बाकी चीजें हाईकोर्ट कर लेगा। चाहे मुख्यमंत्री हों या तेलंगाना का कोई और बस केन्द्र पर आरोप डालना, यह किसी भी व्यक्ति के लिए उचित नहीं है। यह बिल्कुल अस्वीकार्य और नाकाबिले बर्दाश्त है कि यह (हाईकोर्ट के विभाजन में विलंब) केन्द्र सरकार के कारण है।’ कविता के आरोप के बारे में पूछे जाने पर गौडा ने कहा, ‘बिना किसी कारण के, अगर वह धरना देते हैं तो लोग उस स्थिति का आकलन करेंगे। केन्द्र सरकार की (हाईकोर्ट के विभाजन में) कोई भूमिका नहीं है। केन्द्र सरकार पर गैर जरूरी तौर पर आरोप लगाना, यह किसी मुख्यमंत्री या तेलंगाना सरकार के किसी व्यक्ति के लिए उचित नहीं होगा।’ गौडा ने कहा, ‘न्यायपालिका स्वतंत्र है। हम न्यायपालिका को अधिकतम सम्मान देते हैं। उनकी स्वतंत्रता में कार्यपालिका कभी अतिक्रमण नहीं कर सकती। टीआरएस ने इस मुद्दे पर ऐसे समय मोर्चा खोला है जब आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के बीच न्यायिक अधिकारियों के अस्थायी आवंटन के खिलाफ वकीलों और न्यायाधीशों द्वारा आंदोलन छेड़ा गया है। हैदराबाद हाईकोर्ट ने स्थायी आवंटन के खिलाफ आंदोलन के बाद 11 न्यायाधीशों को निलंबित किया। तेलंगाना जजेज एसोसिएशन के बैनर तले सौ से अधिक न्यायाधीशों ने रविवार को यहां विरोध जुलूस निकाला था।