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हैदराबाद: एआईएमआईएम अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने सोमवार को कहा कि भारत जैसे बहुलवादी और विविधतापूर्ण देश में समान नागरिक संहिता लागू नहीं की जा सकती। हैदराबाद के सांसद ओवैसी से जब पूछा गया कि क्या उनकी पार्टी इस विषय पर बहस के पक्ष में है, तो उन्होंने कहा, 'क्या संघ परिवार हिंदू अविभाजित परिवार (एचयूएफ) कर रियायत को छोड़ने के लिए तैयार होगा, जो उन्हें मिल रही है?' उन्होंने कहा, 'हमारे संविधान में 16 नीति-निर्देशक सिद्धांत हैं। इनमें से एक पूरी तरह शराब निषेध के बारे में बात करता है। हम इसके बारे में बात क्यों नहीं करते और पूरे भारत में संपूर्ण मद्यनिषेध क्यों नहीं कराते क्योंकि नीति-निर्देशक सिद्धांत के रूप में भी इसका उल्लेख है।' ओवैसी ने कहा कि इस तरह के आंकड़े हैं कि कई महिलाओं को प्रताड़ित किया जा रहा है या उनके शराबी पति उन्हें पीट रहे हैं और सड़क दुर्घटनाओं की बड़ी वजह में भी नशे में गाड़ी चलाना शामिल है। ओवैसी ने यह भी कहा कि संविधान के अनुच्छेद 371 की एक धारा नगा और मिजो नागरिकों को विशेष प्रावधान प्रदान करती है। उन्होंने कहा, 'क्या आप इसे भी हटा देंगे।' एआईएमआईएम सांसद ने कहा, ' ये सवाल पूछे जाने चाहिए और भारत जैसे बहुलवादी और विविधतापूर्ण देश में आप समान नागरिक संहिता नहीं लागू कर सकते क्योंकि यह भारत की शक्ति है।' ओवैसी ने कहा, 'हम अपने बहुलवाद को मानते हैं क्योंकि यह देश धर्म को मानता है। आप एक समान नागरिक संहिता नहीं लागू कर सकते।

इसलिए यह भारत में पूरी तरह असंभव बात है।' क्या मुस्लिम पर्सनल कानून में 'तीन बार तलाक' और बहुविवाह प्रथा की समीक्षा करने की जरूरत है तो ओवैसी ने कहा, 'इस सवाल का जवाब उलेमाओं, विशेषज्ञों और मुस्लिम विद्वानों को देना है।'

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