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कोहिमा: सैकड़ों नगा लोगों ने नगालैंड से सशस्त्र बल विशेष अधिकार कानून (अफस्पा) हटाने और मोन जिले में सुरक्षाबलों की गोलीबारी में मारे गये 14 आम नागरिकों के लिए इंसाफ की मांग करते हुए दीमापुर से 70 किलोमीटर दूर राज्य की राजधानी कोहिमा तक दो दिवसीय पैदल मार्च में हिस्सा लिया।
पैदल मार्च में हिस्सा लेने वाले लोगों के हाथों में तख्तियां और बैनर थे, जिन पर अफस्पा कानून को निरस्त करने की मांग की गई थी। साथ ही लोगों ने 14 आम नागरिकों की मौत के मामले में इंसाफ के लिए भी नारे लगाए। पिछले कुछ हफ्तों से सोशल मीडिया पर व्यापक अभियान के बाद विभिन्न नागा सिविल सोसाइटी संगठनों द्वारा दो दिवसीय वॉकथॉन का नेतृत्व किया गया।
आयोजकों ने कहा कि जैसे-जैसे यह मार्च कई गांवों और छोटे शहरों से होकर गुजरेगा और अधिक पुरुषों और महिलाओं के शामिल होने की उम्मीद है। प्रतिभागियों ने मंगलवार को फिर से मार्च शुरू करने से पहले सोमवार रात को पिफेमा में विश्राम किया।
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नई दिल्ली: भारी विरोध के बीच नगालैंड में विवादास्पद सशस्त्र बल विशेष अधिकार कानून (अफस्पा) को छह महीनों के लिए बढ़ा दिया गया है। अफस्पा कानून सुरक्षा बलों को बिना किसी पूर्व वारंट के अभियान चलाने और किसी को भी गिरफ्तार करने का अधिकार देता है। अगर वे किसी को गोली मारते हैं तो यह उस स्थिति में बलों को प्रतिरक्षा भी देता है।
बता दें कि नगालैंड के मोन जिले में 4 दिसंबर को उग्रवाद विरोधी अभियान के दौरान ‘गड़बड़ी' हो गई और 14 आम नागरिकों की मौत हो गई। नागरिकों की मौत के बाद अफस्पा कानून को वापस लेने की मांग जोर पकड़ रही है। अफस्पा को वापस लेने के लिए नगालैंड की राजधानी कोहिमा समेत कई जिलों में विरोध प्रदर्शन भी हुए। इसमें अफस्पा को बैन करने की मांग की गई।
आम लोगों की मौत के बाद बढ़ते तनाव को कम करने के मकसद से केंद्र ने अफस्पा को हटाने की संभावना पर गौर करने के लिए एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया है।
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कोहिमा: नगालैंड में 5 दिसंबर के हमले की जांच के लिए पहुंची सेना की टीम ने राज्य की जांच टीम को उन सैनिकों का बयान रिकॉर्ड करने की अनुमति दी है जो ऑपरेशन में शामिल है। इस ऑपरेशन में 14 आम नागरिकों को जान गंवानी पड़ी थी। पुलिस सूत्रों ने यह जानकारी दी। बाद में ग्रामीणों ने गुस्से में जवानों को घेर लिया थ और उनके हमले में एक सैनिक को जांन गंवानी पड़ी थी। गलत पहचान के कारण यह घटना हुई थी।
पुलिस सूत्रों के अनुसार, नगालैंड स्पेशल इनवेस्टीगेशन टीम यानी एसआईटी इस सप्ताह 21 पैरा स्पेशल फोर्स के सैनिकों के बयान रिकॉर्ड करने का काम पूरा कर सकती है। हालांकि अभी यह स्पष्ट नहीं कि है कि राज्य स्तर की टीम की ओर से की जा रही जांच किस तरह आगे बढ़ेगी क्योंकि नगालैंड में इस समय आर्म्ड फोर्सेस (स्पेशल) पावर्स एक्ट (अफस्पा) लागू है, जो केंद्र की अनुमति के बिना सुरक्षा बलों पर किसी भी तरह का अभियोग चलाने से संरक्षण प्रदान करता है। पुलिस सूत्रों ने बताया कि जांच को गति प्रदान करने के लिए नगालैंड एसआईटी का विस्तार करते हुए 8 सदस्यों से 22 सदस्यों का किया गया है।
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कोहिमा: नगालैंड में विवादास्पद सशस्त्र बल विशेष शक्तियां अधिनियम यानी अफ्स्पा को हटाने पर विचार करने के लिए एक समिति का गठन किया जाएगा। मुख्यमंत्री नेफियू रियो ने 23 दिसंबर को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ बैठक को लेकर रविवार को एक ट्वीट में यह जानकारी दी।
मुख्यमंत्री रियो ने बताया कि केंद्र नगालैंड से अफ्स्पा हटाने पर गौर करने के लिए पांच सदस्यीय समिति गठित करेगा। गृह मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव (पूर्वोत्तर) समिति की अध्यक्षता करेंगे। समिति में नगालैंड के मुख्य सचिव, डीजीपी भी होंगे। समिति 45 दिनों के भीतर सिफारिशें सौंपेगी, जिसके आधार पर अंतिम फैसला लिया जाएगा।
सशस्त्र बलों को विशेषाधिकार देने वाले इस कानून को हटाने की मांग ने इस महीने की शुरुआत में मोन जिले में सेना की कार्रवाई में 14 नागरिकों की मौत होने के बाद जोर पकड़ा है। इसके खिलाफ राजधानी कोहिमा समेत पूरे राज्य में विरोध-प्रदर्शन हुए थे।
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