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नई दिल्ली: भारी विरोध के बीच नगालैंड में विवादास्पद सशस्त्र बल विशेष अधिकार कानून (अफस्पा) को छह महीनों के लिए बढ़ा दिया गया है। अफस्पा कानून सुरक्षा बलों को बिना किसी पूर्व वारंट के अभियान चलाने और किसी को भी गिरफ्तार करने का अधिकार देता है। अगर वे किसी को गोली मारते हैं तो यह उस स्थिति में बलों को प्रतिरक्षा भी देता है।

बता दें कि नगालैंड के मोन जिले में 4 दिसंबर को उग्रवाद विरोधी अभियान के दौरान ‘गड़बड़ी' हो गई और 14 आम नागरिकों की मौत हो गई। नागरिकों की मौत के बाद अफस्पा कानून को वापस लेने की मांग जोर पकड़ रही है। अफस्पा को वापस लेने के लिए नगालैंड की राजधानी कोहिमा समेत कई जिलों में विरोध प्रदर्शन भी हुए। इसमें अफस्पा को बैन करने की मांग की गई।

आम लोगों की मौत के बाद बढ़ते तनाव को कम करने के मकसद से केंद्र ने अफस्पा को हटाने की संभावना पर गौर करने के लिए एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया है।

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा क्रमशः नगालैंड और असम के मुख्यमंत्रियों नेफ्यू रियो और हिमंत बिस्वा सरमा के साथ बैठक करने के बाद समिति का गठन किया गया।

मीडिया रिर्पोटस के मुताबिक, भारत के रजिस्ट्रार जनरल और जनगणना आयुक्त विवेक जोशी 5 सदस्यीय समिति की अगुवाई करेंगे, जबकि केंद्रीय गृह मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव पीयूष गोयल समिति के सदस्य सचिव होंगे। एक अधिकारी ने बताया कि समिति के अन्य सदस्य नगालैंड के मुख्य सचिव और डीजीपी और असम राइफल्स के डीजीपी हैं। समिति 45 दिन में अपनी रिपोर्ट पेश करेगी।

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