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चंडीगढ़: पंजाब के किसानों का गेहूं पर बोनस और 10 जून से धान की बुवाई शुरू करने जैसी मांगों को लेकर विरोध प्रदर्शन अब तेज होता दिखाई दे रहा है। आप की सरकार पर दबाव बनाने के लिए राजधानी जाने से रोके जाने के बाद किसान मंगलवार को चंडीगढ़-मोहाली सीमा के पास धरने पर बैठ गए। इन मांगों को लेकर एक किसान नेता ने कहा, "यह पंजाब में हमारे संघर्ष की शुरुआत है और यह तब तक जारी रहेगा जब तक कि हमारी मांगें पूरी नहीं की जातीं। अभी तक केवल 25 प्रतिशत किसान ही यहां आए हैं, कल और आएंगे। यह करो या मरो की लड़ाई है।"

किसान अपनी मांगों में स्मार्ट बिजली मीटर लगाने का भी विरोध कर रहे हैं। राशन, बिस्तर, पंखे, कूलर, बर्तन, रसोई गैस सिलेंडर और अन्य सामान लेकर पंजाब भर के किसान मोहाली के गुरुद्वारा अंब साहिब में एकत्रित हुए। किसान ट्रैक्टर-ट्रॉली, बसों और अन्य वाहनों में राशन और अन्य आवश्यक सामान लेकर आए हैं।

प्रदर्शनकारी चाहते हैं कि सरकार उन्हें 10 जून से धान की बुवाई की अनुमति दे। वे मक्का और मूंग के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के लिए अधिसूचना भी जारी करवाना चाहते हैं।

किसान राज्य सरकार से बिजली लोड को बढ़ाने पर लगने वाले शुल्क को 4,800 रुपये से घटाकर 1,200 रुपये करने, 10-12 घंटे बिजली आपूर्ति और बकाया गन्ना भुगतान जारी करने की भी मांग कर रहे हैं।

पंजाब सरकार को चेतावनी देते हुए किसान नेता जगजीत सिंह दल्लेवाल ने कहा कि अगर मुख्यमंत्री भगवंत मान बुधवार तक प्रदर्शनकारियों के साथ उनकी शिकायतों के निपटारे के लिए बैठक नहीं करते, तो वो बैरिकेड तोड़कर आगे बढ़ते हुए चंडीगढ़ की ओर कूच करेंगे।

पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने किसानों के आंदोलन को अनुचित और अवांछनीय बताया। लेकिन उन्होंने कहा कि वह बातचीत के लिए तैयार हैं। सीएम ने कहा कि किसानों के साथ बातचीत के लिए उनके दरवाजे खुले हैं लेकिन भूजल के और कम होने को रोकने के उनके संकल्प को नहीं तोड़ सकते।

कई किसान संगठनों के विरोध प्रदर्शन को देखते हुए चंडीगढ़-मोहाली सीमा पर बडी संख्या में पुलिस बल की तैनाती की गई है। मोहाली पुलिस ने प्रदर्शनकारी किसानों को चंडीगढ़ में प्रवेश करने से रोकने के लिए अवरोधक लगाने के साथ-साथ पानी की बौछार करने के लिए भी वाहन तैनात किए हैं।

एक किसान नेता ने कहा, "यह पंजाब में हमारे संघर्ष की शुरुआत है और यह तब तक जारी रहेगा जब तक कि हमारी मांगें पूरी नहीं की जातीं। अभी तक केवल 25 प्रतिशत किसान ही यहां आए हैं, कल और आएंगे। यह करो या मरो की लड़ाई है।" अपनी विभिन्न मांगों के बीच, किसान प्रत्येक क्विंटल गेहूं पर ₹500 का बोनस चाहते हैं क्योंकि अभूतपूर्व गर्मी की स्थिति के कारण गेहूं की उपज में गिरावट आई है।

किसान नेता जगजीत सिंह दल्लेवाल ने कहा कि हमें डीजीपी से एक संदेश मिला कि मुख्यमंत्री मान के साथ बुधवार को सुबह 11 बजे एक बैठक तय की गई है। फिर एक और संदेश आया, जिसमें कहा गया था कि सीएम दिल्ली गए हैं और मुख्य सचिव के साथ बैठक हो सकती है।

गुरुद्वारा अंब साहिब से अपने मार्च की शुरुआत करते हुए, प्रदर्शनकारी किसानों ने चंडीगढ़-मोहाली सीमा के पास मोहाली पुलिस द्वारा लगाए गए अन्य अवरोधों की ओर बढ़ते हुए बैरिकेड्स की पहली परत तोड़ दी। दल्लेवाल ने कहा, "आगे बढ़ना (बैरिकेड्स तोड़कर) आपके लिए कोई बड़ी बात नहीं है। लेकिन हम यहां शांतिपूर्ण तरीके से बैठेंगे।" "हम यहां विरोध प्रदर्शन करेंगे... यह दिल्ली में आंदोलन जैसा है।"

भारती किसान यूनियन (लखोवाल) के महासचिव हरिंदर सिंह लखोवाल ने कहा, "हम इस विरोध को जीतेंगे।" उन्होंने कहा कि 17 अप्रैल को मुख्यमंत्री के साथ अपनी पिछली बैठक के दौरान, उन्होंने 11 मांगों का एक चार्टर पेश किया था और मान ने उन्हें उनके मुद्दों को हल करने का आश्वासन दिया था। लेकिन एक भी मांग अभी तक स्वीकार नहीं की गई है।

मोहाली पुलिस द्वारा रोके जाने के बाद किसान सड़क के बीचोंबीच अपने वाहन खड़े करते हुए वहीं धरने पर बैठ गए। उनमें से कुछ ने वहां चाय बनाना भी शुरू कर दिया। विरोध प्रदर्शन की वजह से पुलिस को वाईपीएस चौक के पास चंडीगढ़-मोहाली रोड पर ट्रैफिक को वैकल्पिक रास्तों पर डायवर्ट करना पड़ा।

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