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चंड़ीगढ: अमृतसर ट्रेन हादसे की मजिस्ट्रेट जांच में जोड़ा फाटक रेलवे क्रॉसिंग के गेटमैन और दशहरा समारोह के आयोजकों को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया गया है। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने दोषियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई के आदेश दिए हैं। इस साल दशहरे के मौके पर हुए इस हादसे में 59 लोगों की मौत हो गई थी। मुख्यमंत्री ने जालंधर के डिवीजनल कमिश्नर बी. पुरुषार्था को हादसे की मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दिए थे। जांच में खुलासा हुआ कि सार्वजनिक/सरकारी भूमि पर बिना किसी नियम और मंजूरी के समारोह आयोजित किया गया। समारोह के प्रबंध, नियम और निगरानी से संबंधित प्रत्येक व्यक्ति ने ड्यूटी में लापरवाही बरती। इसमें रेल कर्मचारियों की सबसे बड़ी गलती है।

यह जांच रिपोर्ट जिला प्रशासन और रेलवे से संबंधित कर्मियों व अधिकारियों से पूछताछ पर आधारित है। रिपोर्ट में कहा गया कि जहां लोेगों ने ट्रैक पर खड़े होकर दशहरा देखने की गलती की, वहीं आयोजकों ने इस कार्यक्रम को बिना किसी अनुमति और सुरक्षा उपायों के आयोजित किया। रिपोर्ट में पुलिस और नगर निगम प्रशासन पर भी उंगली उठाई गई, जिन्होंने कानून और नियम लागू करने के प्रति उदासीनता दिखाई।

वहीं रेल कर्मचारियों ने भी ट्रैक के आसपास बड़ी संख्या में लोगों की उपस्थिति की जानकारी होने के बावजूद सुरक्षा उपायों पर ध्यान नहीं दिया।

रिपोर्ट में सिद्धू दंपति को क्लीन चिट

जांच में पंजाब सरकार के मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू और उनकी पत्नी नवजोत कौर सिद्धू को क्लीन चिट मिल गई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि हादसे के समय नवजोत सिंह सिद्धू अमृतसर में नहीं थे। वहीं दशहरा समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद नवजोत कौर सिद्धू का काम इंतजाम देखने का नहीं था। इंतजाम की सारी जिम्मेदारी आयोजकों की होती है। उनकी आयोजन में कोई भूमिका नहीं थी। आयोजकों ने जानबूझकर कार्यक्रम देरी से शुरू किया और समारोह के लिए सिद्धू दंपति के नाम का फायदा भी उठाया। जालंधर के डिवीजनल कमिश्नर बी. पुरुषार्था ने जांच पूरी कर 21 नवंबर को जांच रिपोर्ट पंजाब के गृह सचिव एनएस कलसी को सौंप दी थी। इसे गृह सचिव ने कार्रवाई के लिए बुधवार को मुख्यमंत्री के पास भेजा था।

अमृतसर रेल हादसा: जांच रिपोर्ट में खुलासा

अमृतसर रेल हादसे की मजिस्ट्रेट जांच के मुताबिक गेट नंबर 27 जोड़ा फाटक के गेटमैन अमित सिंह न सिर्फ अपने वैधानिक कर्तव्यों का निर्वहन करने में नाकाम रहे, बल्कि सुरक्षा उपाय नहीं किए जिससे इस दुर्घटना को आसानी से रोका जा सकता था। इसके अलावा रेलवे क्रॉसिंग गेट नंबर 26 के गेटमैन निर्मल सिंह भी अपने वैधानिक कर्तव्य निभाने में नाकाम रहे। उन्होंने गेटमैन अमित को सूचना देने में देरी की। उसे रेल ट्रैक पर लोगों की भीड़ के बारे में लगभग 5:30 बजे पता चल गया था, लेकिन उसने इस बारे में अमित सिंह को जानकारी लगभग पौने सात बजे दी। उसने संबंधित स्टेशन मास्टर को भी सूचित नहीं किया और ट्रेनों को ग्रीन सिग्नल दे दिए। इसलिए, वह भी इसके लिए जिम्मेदार है। रिपोर्ट में कहा गया है कि आयोजकों के पास धोबी घाट में रावण दहन समेत दशहरा उत्सव के लिए कोई अनुमति नहीं थी। आयोजकों ने वहां एकत्र हुए लोगों की सुरक्षा के भी पर्याप्त उपाय नहीं किए। उन्होंने न तो रेलवे को सूचित किया और न ही लोगों को ट्रैक पर खड़े होने से रोका। रेलवे को अगर सूचना दे दी जाती तो इस खंड पर ट्रेनों को नियंत्रित किया जा सकता था। यही नहीं, अगर आयोजक दशहरा देखने आए लोगों की सुरक्षा के प्रति संजीदा होते और समारोह स्थल व रेल ट्रैक के बीच दीवार के साथ 10-12 फुट पर पर्दे आदि लगाते तो हादसा रोका जा सकता था।

रेलवे ने किया था अपने कर्मियों का बचाव

उल्लेखनीय है कि इससे पूर्व हादसे पर रेल मंत्रालय द्वारा जारी की गई जांच रिपोर्ट में रेलवे के किसी कर्मचारी को दोषी न ठहराते हुए ट्रैक पर खड़े लोगों को गलत करार दिया था।

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