अमृतसर: पंजाब के अमृतसर में हुए रेल हादसे के बाद से स्थानीय लोगों का गुस्सा लगातार फूट रहा है। अमृतसर ट्रेन हादसे में सुरक्षा व्यवस्थआ में पुलिस की खामियों को लेकर यहां के स्थानीय लोग आक्रोशित हैं और वे लोग घटना स्थल पर लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं। इतना ही नहीं, शनिवार की रात को भी इनका प्रदर्शन जारी रहा। बताया जा रहा है कि रविवार को भी ये लोग बड़ी संख्या में घटनास्थल यानी की रेलवे ट्रैक के पास जमा हैं। इनका कहना है कि सरकार लोगों की मौत के आंकड़े को कम बता रही है। साथ ही मामले में कार्रवाई करने में देरी की जी रही है।
इसके अलावा रावण दहन के दौरान सुरक्षा व्यवस्था के संबंध में पुलिस की खामियों को लेकर भी लोगों का गुस्सा फूट पड़ा है। बताया जा रहा है कि घटनास्थल और आसपास के इलाके में तनाव की स्थिति है। यही वजह है कि भारी संख्या में पुलिस बल की तैनाती की गई है। अमृतसर ट्रेन हादसे में राहण दहन के दौरान ट्रेन की चपेट में आकर 61 लोगों की मौत हो गई है। इसमें अभी भी कई घायल हैं। इस हादसे के कई कारण बताए जा रहे हैं। मगर स्थानीय प्रशासन, रेलवे, आयोजक सभी अपनी ज़िम्मेदारियों से पल्ला झाड़ रहे हैं।
सरकार ने न्यायिक जांच के आदेश दे दिए हैं, जिसकी रिपोर्ट 4 हफ्ते में आ जाएगी। अज्ञात लोगों के खिलाफ एफआईआर भी हो गई है। लेकिन आयोजनकर्ता कहां है, इसका किसी को पता नहीं है। स्थानीय कांग्रेस पार्षद के बेटे और आयोजनकर्ता सौरभ मदान मिट्ठू के घर पर आज भी ताला लगा है और यहां भी लोगों ने प्रदर्शऩ किया है। बताया जा रहा है कि उनके घर पर कुछ लोगों ने पथराव किया है और घर में शीशे टूटे हुए हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि अपनी जान की सलामती के लिए सौरभ मदान फिलहाल सामने नहीं आ रहे हैं।
दरअसल, अमृतसर में ट्रेन दुर्घटना स्थल के निकट यहां के लोग लापता लोगों की तलाश करने की मांग कर रहे हैं। उन्होंने जिला प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी करते हुए यह दावा किया कि कुछ लोग अब भी लापता हैं। प्रदर्शनकारियों ने मांग की कि लापता लोगों का पता लगाया जाए और पीड़ितों के परिवार को पर्याप्त मुआवजा भी दिया जाए। जोड़ा फाटक के समीप एक इलाके के रहने वाले कमल ने कहा, ‘मेरे इलाके में रहने वाले दो मजदूर अब भी लापता हैं।'कमल ने आशंका जताई कि सरकार ने मृतकों की जो संख्या बताई है वह उससे अधिक हो सकती है।
मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने शनिवार को घटनास्थल तथा अस्पतालों का निरीक्षण करने के बाद कहा था कि 59 लोगों की मौत हुई है और 57 घायल हैं। हालांकि सब डिवीजनल मजिस्ट्रेट राजेश शर्मा ने बताया कि हादसे में 61 लोगों ने जान गंवाई। रविवार को प्रदर्शन में एक अन्य स्थानीय निवासी राजू ने कहा कि एक व्यक्ति घटना में मारे गए अपने पिता के शव की अब भी तलाश कर रहा है। राजू ने कहा, ‘वह अपने पिता के शव को ढंकने के लिए कपड़ा लेने गया था, लेकिन जब लौटा तो उसे शव नहीं मिला।'
एक अन्य स्थानीय निवासी राम कुमार ने दावा किया कि सब्जी बेचने वाले काजल के परिवार के चार सदस्य गायब हैं। घटना में अपने भाई विकास और निंदरपाल को खो चुकी अंजू ने आरोप लगाया कि नेता इस घटना पर राजनीति कर रहे हैं। उसने कहा, ‘जब हर कोई जानता है कि यहां पिछले कई वर्षों से दशहरे का कार्यक्रम होता आ रहा है, तो ऐसे हादसे को रोकने के लिए पर्याप्त कदम उठाने चाहिए थे।' एक अन्य गमगीन व्यक्ति को अपने भाई सोनू की बस चप्पलें मिल पाई। वह चप्पलों को पुलिस थाने लेकर अपने भाई को ढूंढने की गुहार लगाने गया।
प्रदर्शनकारियों ने जिला प्रशासन के खिलाफ नारे लगाए और ट्रेन की गति धीमी ना करने को लेकर रेलवे पर गुस्सा निकाला। इस बीच, जोड़ा फाटक इलाके के समीप दुकानें अब भी बंद हैं।