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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने राज्यपालों को आपराधिक अभियोजन से छूट देने वाले संवैधानिक प्रावधान की समीक्षा करने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई के लिए सहमति जता दी है। संविधान के अनुच्छेद 361 के तहत राज्यपाल को आपराधिक अभियोजन से छूट मिली हुई है। कोर्ट ने राज्यपाल सीवी आनंद बोस पर छेड़छाड़ का आरोप लगाने वाली महिला कर्मचारी की याचिका पर पश्चिम बंगाल सरकार को नोटिस जारी किया है।

केंद्र को भी पक्षकार बनाए: सुप्रीम कोर्ट

इसके साथ ही कोर्ट मामले से निपटने में अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणि से सहयोग करने को कहा। कोर्ट ने बंगाल राजभवन की महिला कर्मचारी से कहा कि वह अपनी याचिका में केंद्र को भी पक्षकार बनाए। दरअसल, महिला ने राज्यपाल पर छेड़छाड़ का आरोप लगाया है।

इससे पहले कलकत्ता हाई कोर्ट ने मंगलवार (16 जुलाई) को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को राज्यपाल सीवी आनंद बोस के खिलाफ कोई भी 'अपमानजनक या गलत' बयान देने से रोक दिया।

दरअसल, बीते 28 जून को बोस ने कलकत्ता हाई कोर्ट में मुख्यमंत्री के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर किया था। बता दें कि, सीएम ने कहा था कि महिलाओं ने उनसे शिकायत की थी कि वे राजभवन जाने से डरती हैं।

मीडिया रिपोर्टस के अनुसार, बीते 2 मई को राज्यपाल के घर में एक संविदा महिला कर्मचारी ने सीवी आनंद बोस पर उसके साथ छेड़छाड़ का आरोप लगाया था, जिसके बाद कोलकाता पुलिस ने मामले की जांच शुरू की थी। इस मामले पर बोलते हुए ममता बनर्जी ने दावा किया कि महिलाओं ने उन्हें बताया कि "वे हाल ही में वहां हुई घटनाओं के कारण राजभवन जाने से डरती हैं।

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोमवार (15 जुलाई) को कलकत्ता हाईकोर्ट से कहा कि राज्यपाल सी.वी. आनंद बोस के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोपों के उनके बयान में कुछ भी अपमानजनक नहीं था।

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