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कोलकाता: बिहार के बाद अब केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह मंगलावार को 'वर्चुअल रैली' के जरिए अगले साल अप्रैल में होने वाले पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के अभियान की शुरुआत करेंगे। वे आज (मंगलवार) सुबह 11 बजे रैली को संबोधित करेंगे। पश्चिम बंगाल के सभी शीर्ष नेता वर्चुअल तरीके से रैली का हिस्सा बनेंगे। बंगाल के भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा "इस रैली से राज्य में सियासी बदलाव की शुरुआत होगी।" "यह हमारे लिए पहला मौका है और हमारी पार्टी लोगों की मौजूदगी के मामले में एक विश्व रिकॉर्ड बनाने जा रही है।"

दिलीप घोष के मुताबिक बिहार की वर्चुअल रैली में राज्यभर में 70,000 एलईडी टीवी लगाए गए थे, इस कार्यक्रम में 43 लाख लोगों की मौजूदगी का दावा किया गया है। जब ममता बनर्जी से पूछा गया कि क्या वे भी ऐसी ही एक वर्चुअल रैली को संबोधित करेंगी, तो उन्होंने कहा "भाजपा की जितनी गुंजाइश है, हमारी उतनी नहीं है।" बता दें कि तृणमूल कांग्रेस 21 जुलाई को शहीद दिवस के तौर पर मना रही है। बता दें कि लॉकडाउन के दौरान भी केंद्र और पश्चिम बंगाल सरकार के बीच टकराव की स्थिति कई मौकों पर देखी गई। भाजपा कोरोना संकट के कुप्रबंधन को लेकर राज्य सरकार पर लगातार हमलावर रही है।

केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह मंगलवार को पश्चिम बंगाल के लिए अपनी ‘डिजिटल रैली' के दौरान कोरोना वायरस महामारी से निपटने में तृणमूल कांग्रेस सरकार के कथित कुप्रबंधन तथा प्रवासी श्रमिक संकट का मुद्दा उठा सकते हैं।

भाजपा सूत्रों ने बताया कि वैसे तो यह संबोधन भाजपा के ‘आत्मनिर्भर' अभियान का हिस्सा है लेकिन शाह के भाषण में तृणमूल कांग्रेस सरकार द्वारा कोरोना वायरस महामारी के ‘कुप्रबंधन', प्रवासी श्रमिक संकट तथा हिंसा की राजनीति जैसे मुद्दे शामिल होने की संभावना है।

प्रदेश भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, ‘‘अमित शाह जी निश्चित ही कोविड-19 से निपटने में केंद्र सरकार की उपलब्धियों के बारे में बोलेंगे। लेकिन साथ ही ऐसी संभावना है कि वह राजनीतिक हिंसा, महामारी से निपटने में राज्य सरकार की विफलता, प्रवासी श्रमिक संकट तथा चक्रवात अम्फान के बाद की स्थिति के मुद्दों का जिक्र करेंगे।'' नेता ने कहा, ‘‘हमारे पार्टी कार्यकर्ताओं समेत लाखों लोग उनके भाषण का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं।''

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के नौ साल के शासन के खिलाफ पिछले सप्ताह नौसूत्री आरोपपत्र जारी कर चुकी भाजपा ने हाल ही में सोशल मीडिया पर ‘आर नोई ममता' (ममता का शासन अब और नहीं) अभियान चलाया है।

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