कोलकाता: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख ममता बनर्जी ने पार्टी के पूर्व सांसद और फिल्म अभिनेता तापस पॉल को श्रद्धांजलि देने के दौरान केंद्र सरकार पर जमकर हमला बोला। ममता बनर्जी ने आरोप लगाया कि तापस पॉल, सुल्तान अहमद की मौत केन्द्रीय एजेंसियों द्वारा बनाए गए दबाव और केन्द्र सरकार की प्रतिशोध की राजनीति की वजह से हुई। बता दें कि बंगाली फिल्मों के जाने माने अभिनेता एवं तृणमूल कांग्रेस के पूर्व सांसद तापस पॉल का मंगलवार को तड़के दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। वह 61 साल के थे।
पॉल की पत्नी नंदिनी ने बताया था कि मुम्बई हवाई अड्डे पर एक फरवरी को तबीयत खराब होने के बाद उन्हें अस्पताल ले जाया गया। वह इलाज कराने अमेरिका जा रहे थे। वह छह फरवरी तक वेंटिलेटर पर थे। तापस पॉल की मौत पर ममता बनर्जी ने कहा कि सरकार के दबाव ने कई लोगों की जिंदगी छीन ली। एजेंसियों के इस दबाव की वजह से तीन लोगों की मौत हो चुकी है। सुल्तान अहमद, टीएमसी सांसद प्रसून बनर्जी की पत्नी और अब तापस पॉल।
उन्होंने आगे कहा कि लोगों को जेल में भेजा जा रहा है, मगर केंद्रीय एजेसियां उनकी संलिप्तता साबित करने में सक्षम नहीं हैं और न ही ये साबित करने में कि आखिर उसका गुनाह क्या है। अगर कोई अपराध करता है तो उसे जरूर सजा मिलनी चाहिए, मगर अब तक मैं नहीं जानती कि तापस पॉल और अन्य ने क्या गुनाह किया।
इससे पहले पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने उनके निधन पर शोक व्यक्त किया था और कहा कि पॉल के निधन से फिल्म और राजनीति के क्षेत्र में भारी रिक्तता पैदा हुई है। बनर्जी ने कहा, 'तापस पॉल के निधन की खबर सुन दुखी और स्तब्ध हूं। वह बंगाली सिनेमा के सुपरस्टार और तृणमूल परिवार के सदस्य थे। तापस ने दो बार सांसद और एक बार विधायक के तौर पर लोगों की सेवाएं कीं। हमें उनकी कमी काफी खलेगी। पत्नी नंदिनी, बेटी सोहिनी और उनके सभी प्रशंसकों के साथ मेरी संवेदनाएं हैं।'
सीबीआई ने 2016 में रोज वैली चिटफंड मामले में तापस पॉल को गिरफ्तार किया था और करीब 13 महीने बाद उन्हें जमानत मिली थी। इसके बाद से ही उन्होंने फिल्मों और सक्रिय राजनीति दोनों से दूरी बना ली थी। उन्होंने 'साहेब (1981), 'परबत प्रिया (1984), 'भालोबाशा भालोबाशा (1985), 'अनुरागर चोयन (1986) और 'अमर बंधन (1986) जैसी कई हिट फिल्में दी।
तृणमूल कांग्रेस से पॉल 2000 में जुड़े थे और 2001 में अलीपुर से विधायक चुने गएLथे। रोज़ वैली चिटफंड घोटाले में 2016 में गिरफ्तार होने के बाद उनके परिवार के कई सदस्यों ने पार्टी पर उन्हें नजअंदाज करने का आरोप भी लगाया। 2018 में जेल से छूटने के बाद वह सक्रिय राजनीति से दूर हो गए थे और उन्होंने चुनाव नहीं लड़ने का फैसला किया था।