कोलकाता: नागरिकता कानून पर मचे देशभर में बवाल के बीच पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने गुरुवार को भाजपा पर बड़ा हमला बोला है। उन्होंने कहा कि भाजपा की स्थापना 1980 में हुई थी और वह हमारे 1970 के नागरिकता दस्तावेज मांग रही है। ममता बनर्जी ने कोलकाता रैली में कहा कि यदि भाजपा में हिम्मत है तो उसे संशोधित नागरिकता कानून और एनआरसी पर संयुक्त राष्ट्र की निगरानी में जनमत संग्रह कराना चाहिए। ममता बनर्जी ने कोलकाता की रैली में कहा कि हम इस देश में दूसरों की दया पर नहीं रह रहे हैं।
ममता बनर्जी ने रैली में कहा कि भाजपा अपने कार्यकर्ताओं के लिए टोपी खरीद रही है जो एक विशेष समुदाय को बदनाम करने के लिए इन्हें पहनकर संपत्तियों को नुकसान पहुंचा रहे हैं। उन्होंने कहा कि भाजपा संशोधित नागरिकता अधिनियम को हिन्दुओं और मुसलमानों के बीच की एक लड़ाई बनाना चाहती है। गौरतलब है कि नागरिकता संशोधन बिल (सीएए) लोकसभा में 9 दिसंबर, 2019 को पास होने के बाद 11 दिसंबर, 2019 को राज्यसभा में गृह मंत्री अमित शाह ने पेश किया जहां एक लंबी बहस के बाद यह बिल पास हो गया।
इस बिल के पास होने के बाद यह नागरिकता संशोधन कानून बन गया। इस कानून के विरोध में असम, बंगाल समेत देश के कई राज्यों में विरोध प्रदर्शन तेज हो गए।
15 दिसंबर को इस कानून के विरोध में प्रदर्शन के दौरान हिंसा हुई। इस प्रदर्शन में कई छात्रों समेत पुलिस के कुछ जवान भी घायल हो गए। जामिया की घटना के अगले दिन 16 दिसंबर, 2019 को नागरिकता संशोधन कानून को लेकर सीलमपुर में जमकर प्रदर्शन हुए। इस प्रदर्शन के दौरान पथराव की घटना हुई। स्कूली बस पर भी पत्थर फेंके गए। इस प्रदर्शन में कुछ प्रदर्शनकारियों समेत पुलिस वाले भी घायल हुए। एक पुलिस चौकी को प्रदर्शनकारियों ने जला दिया। पुलिस ने हालात को काबू में किया और वहां चौकसी बढ़ा दी गई।
17 दिसंबर को देश के दूसरे हिस्सों में भी प्रदर्शन शुरू हो गए। जामिया यूनिवर्सिटी के छात्रों के समर्थन में देश के कई यूनिवर्सिटी में भी प्रदर्शन हुए। कई यूनिवर्सिटी को 5 जनवरी, 2020 के लिए बंद कर दिया गया है और छात्रों से हॉस्टल खाली करा लिया गया। इस कानून के विरोध में दिल्ली के लाल किला पर लगातार विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। उधर जमा मस्जिद के इमाम ने कहा है कि इस कानून से देश के मुसलमानों को कोई लेना देना नहीं है। उन्हें नहीं डरना चाहिए। विरोध प्रदर्शन को देखते हुए 19 दिसंबर, 2019 को देश के कई हिस्सों में धारा 144 लागू कर दी गई है।
उधर गृहमंत्री अमित शाह ने साफ कर दिया है कि चाहे जितना भी विरोध हो इस कानून को वापस नहीं लिया जाएगा। उनका कहना है कि यह कानून देश की जनता के लिए नहीं है, यह कानून उन अल्पसंख्यक लोगों के लिए है जो अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान में धार्मिक रूप से प्रताड़ित होकर भारत में शरणार्थी के रूप में आए हैं।