कोलकाता: बांग्ला भाषा के मशहूर उपन्यासकार दिब्येंदु पालित का गुरुवार को यहां निधन हो गया। वह 79 साल के थे। उन्हें उम्र संबंधी स्वास्थ्य समस्याएं थीं। परिवारिक सूत्रों के अनुसार, वरिष्ठ लेखक ने पूर्वाह्न 11 बजे जाधवपुर के एक निजी अस्पताल में अंतिम सांस ली। उम्रजनित समस्याओं के कारण वह पिछले तीन साल से दक्षिण कोलकाता स्थित अपने घर में ही रहते थे। तबीयत बिगड़ने के बाद बुधवार रात उन्हें अस्पताल ले जाया गया था। उनकी पत्नी का पहले ही निधन हो चुका है। उनके एक बेटा है जो विदेश में रहता है। बेटे के यहां पहुंचने के बाद पालित का अंतिम संस्कार किया जाएगा।
सभी विधाओं में लिखा
पालित ने साहित्य की तमाम विधाओं में लिखा, लेकिन उन्हें सर्वाधिक ख्याति उपन्यासकार के रूप में मिली। उनके 42 उपन्यास, 26 कहानी-संग्रह, 10 कविता संग्रह और चार निबंध संग्रह प्रकाशित हैं। पालित को उनके उपन्यास ‘अनुभब’ के लिए वर्ष 1998 में साहित्य अकादेमी पुरस्कार प्रदान किया गया था।
इससे पहले उन्हें 1990 में ‘देहु’ उपन्यास के लिए बंकिमचंद्र स्मृति पुरस्कार और ‘सहयोद्धा’ उपन्यास के लिए 1984 में ‘आनंद पुरस्कार’ प्रदान किए जा चुके थे। पालित की कई कृतियों पर मृणाल सेन, तपन सिन्हा और बुद्धदेब बसु जैसे दिग्गज निर्देशकों ने फिल्में बनाईं।
भागलपुर में हुआ था जन्म
पालित का जन्म बिहार के भागलपुर में 5 मार्च 1939 में हुआ था। उन्होंने जाधवपुर विश्वविद्यालय से तुलनात्मक साहित्य का अध्ययन किया था। उनकी पहली कहानी ‘छन्दोपातन’ 1955 में आनंदबाजार पत्रिका में छपी थी। उन्होंने एक पत्रकार के रूप में भी काम किया। वह आनंदबाजार पत्रिका के साथ वरिष्ठ संपादक के रूप में 20 साल से भी अधिक समय तक जुड़े रहे।