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कोलकाता: भाजपा के पूर्व नेता यशवंत सिन्हा ने बुधवार को कहा कि तीन अहम राज्यों के चुनाव नतीजों ने ‘‘ मोदी के जादू की निराधार’’ धारणा को खत्म कर दिया है। उन्होंने उम्मीद जताई कि भगवा दल की हार 2019 के लोकसभा चुनाव के लिए विपक्षी दलों को एकजुट होने के लिए प्रेरित करेगी। विधानसभा चुनाव के हाल में आए नतीजों में भाजपा के हाथ से मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान तीनों प्रमुख राज्य फिसल चुके हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आलोचक रहे सिन्हा ने आगामी आम चुनाव में भाजपा को हराने के दो विकल्प बताए।

उन्होंने कहा, ‘‘ कांग्रेस समेत सभी विपक्षी दलों का राष्ट्रीय स्तर पर चुनाव पूर्व गठबंधन बनाया जाना चाहिए ताकि भाजपा विरोध मत बंटे नहीं और भगवा दल के प्रत्येक उम्मीदवार की टक्कर में एक उम्मीदवार उतारा जा सके।’’ सिन्हा ने आगे कहा, ‘‘ अगर पहला विकल्प विफल रहता है तो क्षेत्रीय दलों का राष्ट्रव्यापी चुनाव पूर्व गठबंधन बनाया जाना चाहिए जिसमें संभव हो तो कांग्रेस के साथ तालमेल भी बैठाया जा सके।’’ सिन्हा ने इस वर्ष की शुरुआत में पार्टी छोड़ दी थी। उन्होंने कहा कि क्षेत्रीय दलों के बीच हितों का कोई टकराव नहीं है।

अटल बिहारी सरकार में मंत्री रह चुके सिन्हा ने कह, ‘‘ तृणमूल (पश्चिम बंगाल) का तेदेपा (आंध्र प्रदेश) और द्रमुक (तमिलनाडु) के साथ कोई टकराव नहीं है। यह संभावना है कि क्षेत्रीय दलों को भाजपा के मुकाबले अधिक सीटें मिल सकती हैं। क्षेत्रीय दलों का कांग्रेस के साथ तालमेल होना चाहिए। चुनाव के बाद वह सरकार गठन के लिए साथ आ सकते हैं।’’ उन्होंने कहा कि कांग्रेस भले ही तीन राज्यों में विधानासभा चुनाव जीत गई है लेकिन उसे खुद को विपक्षी गठबंधन का नेता घोषित करने की गलती नहीं करना चाहिए।

सिन्हा ने कहा कि पांच राज्यों के चुनाव नतीजों ने मोदी के जादू की निराधार धारणा को तहस नहस कर दिया है। इससे विपक्षी दल अगले लोकसभा चुनाव में एक दूसरे के साथ बेहतर तरीके से जुड़ सकेंगे। उन्होंने कहा,‘‘ प्रधानमंत्री बनने से पहले नरेंद्र मोदी कौन थे? वह एक राज्य के मुख्यमंत्री थे। विपक्षी दलों में ऐसे कई नेता हैं जो मुख्यमंत्री या मंत्री रह चुके हैं।’’

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