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पटना: बिहार में आधिकारिक रूप से जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) के पराजित प्रत्याशियों ने एक स्वर से कह दिया कि विधान सभा चुनाव में उनकी हार भाजपा के असहयोग और साज़िश के कारण हुई है। पटना में शनिवार को जेडीयू राज्य परिषद और पार्टी पदाधिकारियों की बैठक के दौरान कमोबेश सभी हारे हुए उम्मीदवारों ने अपनी हार का ठीकरा भाजपा के ऊपर फोड़ा।

इस बैठक में नीतीश कुमार के सामने एक के बाद एक पार्टी के पूर्व विधायकों ने कहा कि चिराग़ पासवान एक मोहरा थे और पर्दे के पीछे सारा खेल भाजपा ने किया। पटना में उनके नेता भले जो दावा करते हों लेकिन ज़मीन पर ना उनके वोटर, ना उनके कार्यकर्ताओं का सहयोग जनता दल यूनाइटेड के प्रत्याशियों को मिला। सीमांचल के प्रत्याशियों का कहना था कि जहाँ पार्टी का एनआरसी पर स्टैंड कुछ और था वहीं भाजपा के पूर्व मंत्री के बयान के कारण जनता में भ्रम की स्थिति फैली और इसका ख़ामियाज़ा उन्हें उठाना पड़ा। हालाँकि, जब पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के भाषण देने की बारी आई तो नीतीश कुमार ने स्वीकार किया कि सीटों का तालमेल समय पर नहीं हुआ।

उन्होंने कहा, जब वो प्रचार कर लौट के आते थे, तब उन्हें इस बात का एहसास होता था कि ज़मीनी हक़ीक़त अलग है। लेकिन इसके लिए उन्होंने सोशल मीडिया को  ज़िम्मेवार माना, जिसने एक नेगेटिव इमेज उनकी सरकार की बनायी। नीतीश कुमार ने फिर दोहराया कि वो मुख्य मंत्री नहीं बनना चाहते थे लेकिन भाजपा और अन्य सहयोगियों के दबाव में शपथ लिया।

वहीं उनकी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष आरसीपी सिंह का कहना था कि कुछ लोग हमारे वोटर को गुमराह करने में कामयाब रहे। उन्होंने फिर दावा किया कि कोरोना काल में जितना हमारी सरकार ने काम किया, उतना कहीं नहीं हुआ। इसके अलावा राज्य इकाई के अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह ने कहा कि हम किसी को धोखा नहीं दे सकते लेकिन धोखा खा सकते हैं।

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