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पटना: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार तीन हफ़्ते बाद शनिवार को कैबिनेट बैठक के अलावा बाढ़ और कोरोना की समीक्षा बैठक में शामिल हुए। लेकिन कैबिनेट बैठक के दौरान नीतीश कुमार अपने स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव उदय सिंह कुमावत पर आग बबूला दिखे और उन्हें हटाने तक की चेतावनी दे डाली। दरअसल इस कैबिनेट बैठक के दौरान राज्य के स्वास्थ्य मंत्री, मंगल पांडेय ने टेस्टिंग क्यों कम हो रही हैं उस पर सफ़ाई देते हुए यह कह डाला कि प्रधान सचिव कुमावत उनकी बात नहीं सुनते। पांडेय ने ये भी कहा कि लोगों को टेस्टिंग कराने में काफ़ी कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है। डॉक्टर भी नदारद रहते हैं।

इस पर कुमावत ने आईसीएमआर के कुछ दिशानिर्देश की चर्चा शुरू कर दी, जिस पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जो हर दिन पूरे देश में टेस्टिंग और राज्य के स्वास्थ्य सेवाओं की बुरी हालत के कारण आलोचना झेल रहे हैं, उन्होंने कहा कि अगर आपसे काम नहीं होता तो अभी राज्य के मुख्य सचिव से कह कर आपके ख़िलाफ़ कारवाई शुरू करने का आदेश देते हैं। उन्होंने राज्य में फिर से टेस्टिंग बीस हज़ार तक करने के अलावा सभी इच्छुक लोगों का टेस्टिंग करने का भी आदेश दिया।

लेकिन नीतीश कुमार के रूख से लगा कि उन्हें स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय और उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी के दबाव में मई महीने में पूर्व प्रधान सचिव संजय कुमार के तबादला पर अपनी गलती का एहसास हो गया है। ख़ासकर कुमावत और मंगल पांडेय के रिश्ते सामान्य ना रहने के कारण विभाग का कामकाज पर प्रतिकूल असर पड़ा है। ये किसी से छिपा नही है।

वहीं जानकार लोगों का कहना हैं कि संजय कुमार को हटाने का फ़ैसला मंगल पांडेय का था इसलिए ख़ामियाज़ा भी वहीं भुगत रहे हैं। हालांकि उनके समर्थक मानते हैं कि उन्हें इस बात का अंदाज़ा नहीं था कि कुमावत उनकी कोई बात नहीं सुनेंगे। फ़िलहाल बिहार में जैसे-जैसे संक्रमण फैल रहा है अब राज्य सरकार के लिए चुनौती ना केवल सबका टेस्ट कराने की है बल्कि इसको फैलने से रोकना है। हालांकि शनिवार को बिहार कैबिनेट ने ये फ़ैसला किया हैं कि अब कोई भी डॉक्टर या स्वास्थ्य कर्मी की ड्यूटी के दौरान मौत होती है तो उसके परिवार को या नौकरी या उसके रिटायरमेंट तक पूरा वेतन दिया जाएगा।

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