पटना: बिहार में भाजपा के महत्वपूर्ण सहयोगी जनता दल (यूनाइटेड) ने अपना "अंतिम निर्णय" बताते हुए रविवार को फैसला किया कि पार्टी कभी भी एनडीए के नेतृत्व वाले केंद्रीय मंत्रिमंडल का हिस्सा नहीं होगी। जदयू नेता केसी त्यागी ने कहा कि हमें जो प्रस्ताव दिया गया था, वह जदयू के लिए अस्वीकार्य थी, इसलिए हमने यह फैसला लिया है कि भविष्य में भी जदयू कभी एनडीए के नेतृत्व वाले केंद्रीय मंत्रिमंडल का हिस्सा नहीं होगी और यह हमारा अंतिम फैसला है। केसी त्यागी ने पत्रकारों से कहा कि मोदी सरकार के प्रस्ताव की वजह से ही हमें यह फैसला लेना पड़ा।
बता दें कि यह बयान ऐसे वक्त में आया है, जब जदयू ने यह कहते हुए स्पष्ट कर दिया था कि वह मोदी सरकार का हिस्सा नहीं बनेगी कि बीजेपी ने उसे एक मंत्री पद का प्रस्ताव दिया था, जिसे वह स्वीकार नहीं कर सकती। बता दें कि आज नीतीश ने अपने कैबिनेट का विस्तार किया. नीतीश मंत्रिमंडल में जिन आठ नेताओं ने मंत्री की शपथ ली है, उनमें तीन नीरज कुमार, संजय झा और डॉ. अशोक कुमार चौधरी विधान परिषद् के सदस्य हैं।
वहीं, नरेंद्र नारायण यादव मधेपुरा लोकसभा क्षेत्र के आलमनगर विधानसभा क्षेत्र, बीमा भारती पूर्णिया के रूपौली, रामसेवक सिंह गोपालगंज के हथुआ, श्याम रजक पाटलीपुत्र के फुलवारीशरीफ और लक्ष्मेश्वर राय मधुबनी लोकसभा क्षेत्र के लौकहा विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं। 30 मई को पार्टी नेताओं के साथ बैठक के बाद जदयू प्रमुख नीतीश कुमार ने कहा था कि वे (बीजेपी) चाहते थे कि मोदी कैबिनेट में जदयू से सिर्फ एक मंत्री हो, ताकि यह एक तरह से सांकितेक प्रतिनिधित्व हो. मगर हमने उन्हें सूचना दे दी कि हमें इसकी जरूरत नहीं है. हमें सांकेतिक प्रतिनिधित्व की भी जरूरत नहीं है. पीएम मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने वाले नीतीश कुमार ने कहा कि यह कोई बड़ी बात नहीं है. हम एनडीए में हैं और हमें आगे भी रहेंगे, मगर सरकार में हमारी पार्टी नहीं होगी. हम साथ काम कर रहे हैं इसमें कोई दोराय नहीं है. बता दें कि इस चुनाव में बिहार में बीजेपी ने जहां 17 सीटों पर जीत हासिल की थी, वहीं नीतीश कुमार की जदयू 16 सीटें जीतने में कामयाब रही थी।