पटना: बिहार के सीवान और बिहारशरीफ की जेलों के कारागार अधीक्षक सहित कुल छह जेल अधिकारियों और कर्मचारियों को तत्कालीन प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है। सीवान के जेल उपाधीक्षक के खिलाफ विभागीय कार्रवाई संचालित किए जाने का निर्देश दिया गया है। बिहार के जेल महानिरीक्षक सह पटना प्रमंडल आयुक्त आनंद किशोर ने बताया कि मुख्यमंत्री के निर्देश पर सीवान मंडल कारागार अधीक्षक राधेश्याम सुमन और गेट वार्डर सह कक्षपाल सीतेश कुमार को निलंबित कर दिया गया है तथा जेल उपाधीक्षक एफ जे डेविड के खिलाफ विभागीय कार्रवाई संचालित किए जाने का आदेश दिया गया है। उल्लेखनीय है कि बिहार के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री अब्दुल गफूर और रघुनाथपुर से राजद विधायक हरिशंकर यादव के अन्य के साथ गत 8 मार्च को हत्या, अपहरण सहित अन्य आपराधिक मामलों में वर्ष 2005 से सीवान जेल में बंद शहाबुद्दीन से सीवान मंडल कारा में मिलने की तस्वीर के सोशल मीडिया में जारी होने पर नीतीश कुमार ने मामले की जांच के निर्देश दिए थे।
मामले की जांच के क्रम में मंत्री के साथ जेल के भीतर प्रवेश करने वालों का नाम अंकित किए जाने के बजाय उनके नाम की जगह अन्य नाम अंकित है जबकि कारा नियम के अनुसार उसके भीतर प्रवेश करने वाले सभी लोगों के नाम और उनका पता अंकित किया जाना अनिवार्य है। कारा पंजी में विधायक का नाम ही अंकित नहीं किया गया है जो कि गलत है। इसके अलावा समीक्षा के दौरान पाया गया कि कारा में प्रवेश करने वाले मुलाकातियों की ठीक ढंग से तलाशी नहीं की गयी प्रतिबंधित सामग्री मोबाइल, कैमरा या इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस कारा के भीतर प्रवेश हुआ जिससे कि मुलाकात की फोटोग्राफी संभव हो सकी। बिहार के कारा महानिरीक्षक आनंद किशोर ने बताया कि बिहारशरीफ मंडल कारा के भीतर गत 23 मार्च को विशेष भोज आयोजन के मामले में मुख्यमंत्री के निर्देश पर वहां के जेल अधीक्षक मोतीलाल को निलंबित कर दिया गया है तथा उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई संचालित करने का निर्देश दिया गया है। उन्होंने बताया कि बिहारशरीफ मंडल कारा के सहायक अधीक्षक रामानंद पंडित तत्काल प्रभाव से निलंबित करते हुए उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई संचालित किये जाने का निर्देश दिया गया है। किशोर ने बताया कि इस मामले में कर्तव्यहीनता बरतने के आरोप में कक्षपाल रमेश कुमार एवं रामलखन यादव को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है तथा इन दोनों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई संचालित किए जाने का निर्देश दिया गया है। नालंदा के जिलाधिकारी डॉक्टर एसएम त्यागराजन द्वारा इस मामले की जांच कराए जाने पर इन चारों जेल अधिकारियों और कर्मियों को जेल मैनुअल के खिलाफ काम करने का दोषी पाया गया था जिसके आधार पर उन्हें निलंबित किया गया है।