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पटना: शराबबंदी कानून यानी बिहार मद्यनिषेध और उत्पाद (संशोधन) विधेयक, 2018 में कानून को तार्किक तरीके से और धारदार बनाया जा रहा है। पहली बार शराब पीने के आरोप में पकड़े गए व्यक्ति को भले ही 50 हजार रुपये का दंड देकर छूटने की व्यवस्था की जा रही है, पर शराब पीकर उपद्रव करने वालों के लिए कानून को और कड़ा कर दिया गया है। ऐसे मामलों में 10 साल तक की कैद हो सकती है। बिहार मद्यनिषेध और उत्पाद अधिनियम, 2016 की धारा 37 में यह जिक्र है कि शराब पीकर और नशे की स्थिति में किसी स्थान पर उपद्रव या फिर हिंसा करना भी अपराध है।

शराब के नशे में व्यक्ति अपने घर या फिर परिसर में ही क्यों न उपद्रव करे वह अपराध की श्रेणी में आएगा। अगर कोई व्यक्ति अपने परिसर में नशे की अनुमति देता है या फिर शराब पीने के इंतजाम को सरल बनाता है तो वह भी अपराध माना जाएगा। चाहे वह उसका अपना घर या परिसर ही क्यों न हो। इन दोनों अपराधों में सजा की अवधि पांच वर्षों से कम नहीं होगी। यही नहीं इसे 10 वर्षों तक बढ़ाया भी जा सकेगा।

 

जुर्माने का भी प्रावधान

इन दोनों अपराधों में जुर्माने की राशि एक लाख रुपये से कम नहीं होगी और उसे बढ़ाकर पांच लाख रुपये तक किया जा सकेगा। संशोधन में बिहार मद्यनिषेध और उत्पाद अधिनियम, 2016 की धारा-64 को विलोपित कर दिया गया है। इस धारा में गांव पर सामूहिक जुर्माने का प्रावधान था। इसी तरह धारा 66 को भी संशोधन में विलोपित कर दिया गया है। इसमें कुख्यात अथवा आदतन अपराधियों के निष्कासन की तर्ज पर नशेबाजों को शहर से बाहर किए जाने का प्रावधान था।

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