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पटना: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अशोक गहलोत ने गुरूवार को कहा कि बिहार में गठबंधन के लिए राजद और जदयू जैसी पार्टियों के साथ बातचीत करना ''मजबूरी'' है। इसके साथ ही उन्होंने पार्टी को मजबूत बनाने पर जोर दिया ताकि वह अपने दम पर चुनाव लड़ और जीत सके। गहलोत के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए राजद ने कहा कि वह खुद 'कांग्रेस की खराब हालत को लेकर चिंता में है।' संगठन और प्रशिक्षण के प्रभारी कांग्रेस महासचिव गहलोत ने बिहार प्रदेश कांग्रेस समिति के मुख्यालय में यह टिप्प्णी की।

इस बैठक के दौरान राज्यसभा सदस्य अखिलेश सिंह सहित पार्टी के कुछ नेताओं ने इस बात पर जोर दिया कि बिहार में पार्टी सम्मानित तरीके से सीटों का बंटवारा करे और लालू प्रसाद की राजद द्वारा छोड़ी गयी सीटों से संतुष्ट नहीं हो। इस पर गहलोत ने कहा, ''सभी जानते हैं कि किन हालात में गठबंधन किया गया। राजद और जदयू जैसी कंपनियों के साथ बातचीत करना हमारी मजबूरी बन गयी है। हमारी बिहार इकाई में कई वरिष्ठ नेता हैं।

हमें झगड़ों में समय खराब नहीं करना चाहिए, बल्कि पार्टी को मजबूत बनाने के लिए काम करना चाहिए ताकि हमारे लिए अपने दम पर चुनाव लड़कर सरकार बनाना संभव हो सके।

गहलोत के बयान पर राजद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी ने कहा, ''सिर्फ बिहार की ही क्यों अन्य कई राज्यों में भी कांग्रेस के हालात कुछ ऐसे ही हैं। मध्यप्रदेश में वह मायावती के साथ गठबंधन करने को बेचैन है। लोकसभा में उसके पास इतनी संख्या भी नहीं है कि उसे मुख्य विपक्षी दल का दर्जा मिल सके। हमारा विचार यह है कि कांग्रेस की कमजोरी भारतीय लोकतंत्र के लिए सही नहीं है। लेकिन गहलोत जैसे नेता का ऐसा बयान देना उनके कार्यकर्ताओं को लाभ नहीं पहुंचा सकता है।

उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने ट्वीट किया, ''अंतत: कांग्रेस को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को अपने महागठबंधन में लाने का सपना छोड़ना पड़ा और उसे भ्रष्टाचार में लिप्त पार्टी के साथ गठबंधन में बने रहने की मजबूरी स्वीकार करनी पड़ी। भ्रष्टाचार, वंशवाद और गरीबों का भला करने की जगह धन जमा करने के लिए सत्ता पाने की इच्छा रखने के मामले में राजद और कांग्रेस दोनों एक ही थैली के चट्टे - बट्टे हैं। दोनों दलों को जदयू और भाजपा के संबंधों से जलन हो रही है।

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