पटना: राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद ने कहा कि हम और नीतीश अलग थे, इसलिए भाजपा का दांव लोकसभा चुनाव में चल गया। संसद में जिस तरह केंद्र के मंत्री भाषण दे रहे हैं, यह देख अफसोस होता है कि हम वहां नहीं हैं। हम वहां होते तो उनको जवाब मिलता। भाजपा के लोग आरएसएस के गुरु गोलवरकर द्वारा बनाए गए विचार पर चलते हैं। उनकी विचारधारा कहती है कि दलितों और गरीबों का दमन करो। लालू ने कहा कि बिहार में गरीबों को मानसिक आजादी 1990 के बाद मिली, जब हमारी सरकार यहां बनी। लालू बोले, जेएनयू में कन्हैया ने मेरे और नीतीश कुमार के सवालों को उठाया तो केंद्र सरकार उसे देशद्रोही कह रही है। जबकि वह खुद देशद्रोही है। नरेंद्र मोदी के शासन में ही जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तान का झंडा फहराया गया। मेरे बार-बार कहने पर भी केंद्र जातीय जनगणना से भागता रहा। भाजपा के लोग बोलते हैं कि लालू प्रसाद राज्य सरकार नहीं चलने देंगे। वे लोग मौका खोज रहे हैं। लोगों में गलत संदेश न जाए, इसलिए फूंक-फूंक कर कदम बढ़ाते हैं हम और नीतीश कुमार।
लालू ने कहा कि राज्य सरकार का सात निश्चय हमारा संकल्प है, जिसे पूरा करना है। कला-संस्कृति मंत्री व चेतना मंच के अध्यक्ष शिवचंद्र राम, सहकारिता मंत्री आलोक मेहता, एससी-एसटी मंत्री संतोष निराला, पूर्व मंत्री श्याम रजक, विधायक चंदन राम, राजेंद्र राम, मुंद्रिका सिंह यादव, सूबेदार दास, भोला यादव, परमात्मा राम, पिंकी देवी आदि उपस्थित थे। पशुपति पारस को उठाकर पटक दिया चंदन ने लालू प्रसाद ने कहा कि दलितों का मसीहा बनने का दावा करने वाले रामविलास पासवान मुझ पर परिवारवाद का आरोप लगाते हैं। उनका पूरा परिवार विधानसभा चुनाव में हार गया। चुनाव में उनके भाई पशुपति कुमार पारस को अलौली में चंदन राम ने उठा कर पटक दिया। हार से मायूस परिवार को ढांढ़स देने के लिए पासवान ने कहा कि घबराएं नहीं राज्य की सरकार चलने वाली नहीं है। जल्द ही मध्यावधि चुनाव होगा। उनका यह सपना पूरा होने वाला नहीं है।