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नई दिल्ली: एनपीपी के विधायकों के कांग्रेस से हाथ मिलाने के बाद मणिपुर सरकार पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं। मंगलवार को इन विधायकों को गुवाहाटी लाया गया, विधायकों के साथ इनकी पार्टी प्रमुख भी भाजपा नेताओं से जरूरी चर्चा करने के लिए पहुंचे। इसी बीच सीबीआई की एक टीम इंफाल पहुंची, जहां उसने कांग्रेस नेता और पूर्व मुख्यमंत्री ओकराम इबोबी सिंह से घर पूछताछ की। बता दें कि सिंह ने मणिपुर के राज्यपाल से मुलाकात की थी और भाजपा के तीन विधायकों सहित नौ विधायकों के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह से समर्थन वापस लेने के बाद सरकार पर दावा ठोक दिया था। इसके बाद से बीरेन सिंह की अगुवाई वाली सरकार पर संकट के बाद मंडरा रहे हैं।

सूत्रों का कहना है कि राज्य में एनडीए की सरकार बनाए रखने के लिए बीरेंन सिंह को पद से हटाया भी जा सकता है। सूत्रों ने कहा कि एनडीए के संयोजक हेमंत बिस्व सरमा के साथ इससे पहले इम्फाल में वार्ता के नए दौर के बाद एनपीपी नेता भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार में नेता को बदलने की अपनी मांग पर अड़े रहे।

इंफाल: मणिपुर में भाजपा की नेतृत्व वाली सरकार भले ही राज्य की एक मात्र राज्यसभा सीट शुक्रवार को जीत गई हो, लेकिन 9 विधायकों के समर्थन वापसी के बाद अभी सरकार पर खतरा मंडरा रहा है। सरकार को बचाने और इसे गिराने को लेकर मणिपुर की राजधानी इंफाल में सत्ताधारी भाजपा और कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्षी सेक्युलर प्रोग्रेसिव फ्रंट (एसपीएफ) की बैकडोर बैठकों का दौर जारी है। रविवार को एनपीपी प्रसिडेंट और मेघालय के मुख्यमंत्री कोर्नाड संगमा इंफाल जाकर पार्टी विधायकों से मुलाकात की और अन्य दलों की बैठकों में हिस्सा लिया।

मणिपुर में भाजपा की सरकार के गठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले असम के सीनियर मंत्री और नॉर्थ ईस्ट डेमोक्रेटिक एलाइंस (एनईडीए) के कन्वेनर हेमंत बिस्व सरमा के बारे में यह खबर है कि उन्होंने सरकार बचाने के लिए फौरन इंफाल का दौरा किया। इंफाल टाइम्स के मुताबिक, संगमा और सरमा दोनों ही चार्टर्ड विमान से इंफाल गए। उन्होंने मणिपुर की राजधानी के एक होटल में बैठकें की ताकि मतभेदों को दूर कर एनपीपी को वापस सत्ताधारी गठबंधन में वापस लाया जा सके।

इम्फाल: मणिपुर हाईकोर्ट ने विधानसभा अध्यक्ष को निर्देश दिया कि वह पहले भाजपा में आ गए कांग्रेस के सात विधायकों के अयोग्य ठहराए जाने वाले लंबित मामलों पर शुक्रवार तक कोई आदेश न दें। हाईकोर्ट ने गुरुवार को अपने आदेश में कहा कि यह स्पष्ट है कि अध्यक्ष द्वारा आज जो फैसला सुरक्षित रखा गया है, उसे कल नहीं सुनाया जाएगा। विधानसभा अध्यक्ष के न्यायाधिकरण ने गुरुवार को सात कांग्रेस बागियों से संबंधित मामले को सुना।

हाईकोर्ट ने आगे कहा, "इस आदेश की प्रतियां सभी पक्षों के वकीलों और मणिपुर विधान सभा के सचिव को व्हाट्सएप या ई-मेल के माध्यम से भेजी जाएंगी।" अदालत ने कहा, विधानसभा अध्यक्ष और विधानसभा सचिव की ओर से उपस्थित वकील तरुणकुमार से अनुरोध किया जाता है कि वे आदेश के अनुपालन के लिए सचिव को सूचित करें। आपको बता दें कि मणिपुर से एकमात्र राज्यसभा सीट के लिए 19 जून को मणिपुर विधानसभा परिसर में मतदान होने वाला है।

नई दिल्ली: मणिपुर में भाजपा नेतृत्व वाली सरकार मुसीबत में आ गई है। बुधवार को नेशनल पीपुल्स पार्टी के उप-मुख्यमंत्री वाई जॉय कुमार समेत नेशनल पीपुल्स पार्टी के चार मंत्रियों ने इस्तीफा दिया और वे सभी कांग्रेस में शामिल हो गए। तीन अन्य जिन लोगों ने अपना इस्तीफा दिया है उनमें ट्रायबल एंड हिल्स एरिया डेवलपमेंट मिनिस्टर एन. कयिशी, यूथ एफेयर्स एंड स्पोर्ट्स मिनिस्टर लेतपाओ हाओकिप और हेल्थ एंड फैमिलि वेलफेयर मिनिस्टर एल. जयंत कुमार सिंह शामिल हैं। जॉय कुमार के पास वित्त का भी पदभार है।

राज्य के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह को अलग-अलग लिखे पत्रों में जॉय कुमार, हाओकिप और केयिशी ने कहा, “मैं यह सूचित करता हूं कि मैं मणिपुर की भाजपा की नेतृत्ववाली सरकार से अपना इस्तीफा देता हूं।” राज्य के तीन भाजपा विधायक एस. सुभाषचंद्र सिंह, टीटी हाओकिप और सैम्युअल जेंदाई ने भी इस्तीफा देते हुए बुधवार को कांग्रेस ज्वाइन कर लिया। 60 सदस्यों वाली मणिपुर विधानसभा में अब सिर्फ भाजपा को 18 विधायकों का ही समर्थन है। जॉय कुमार सिंह ने कहा, हमने अपना आधिकारिक इस्तीफे का पत्र मुख्यमंत्री को सौंपा है।

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