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नई दिल्ली: मध्य प्रदेश में जारी सियासी संकट का आज सुप्रीम कोर्ट में भी कोई हल नहीं निकल पाया। मध्य प्रदेश में फ्लोर टेस्ट कराने की मांग वाली भाजपा की याचिका पर जारी सुनवाई सुप्रीम कोर्ट ने कल तक के लिए टाल दी है। अब मध्य प्रदेश के सियासी संकट पर कल यानी गुरुवार सुबह 10.30 बजे सुनवाई होगी। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने विधानसभा स्पीकर को जल्द फैसला लेने की नसीहत भी दी। सुप्रीम कोर्ट ने बागी विधायकों से मुलाकात करने और रजिस्ट्रार जनरल को उनसे मुलाकात के लिये भेजने के अनुरोध से इंकार कर दिया।
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट किया है कि वह तय नहीं कर सकता कि सदन में किसके पास बहुमत है और किसके पास नहीं। यह काम विधायिका का है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह इस बात का फैसला करने के लिए विधायिका की राह में नहीं आ रहा है कि किसे सदन का विश्वास हासिल है। मध्य प्रदेश के बागी विधायकों के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि संवैधानिक अदालत के तौर पर हमें अपने कर्तव्यों का निर्वहन करना है। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट भारतीय जनता पार्टी की उस मांग वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें बहुमत परीक्षण की मांग की गई है और कांग्रेस ने इसका विरोध किया है।
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नई दिल्ली: मध्य प्रदेश के सियासी घमासान के बीच बेंगलुरु के एक होटल में रुके हुए कांग्रेस के बागी विधायकों ने वीडियो जारी कर कहा है कि वे पिछले एक साल से पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से बात करने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन कोई भी तैयार नहीं था। इन बागी नेताओं ने इस्तीफा देकर मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार के लिए संकट पैदा कर दिया था। जहां कांग्रेस का कहना है कि उनका अपहरण करके जबरन उन्हें कैद कर रखा है। वहीं, बागी विधायकों का कहना है कि उन्होंने अपनी मर्जी से इस्तीफा दिया है और कांग्रेस नेताओं से बात करने में कोई रूचि नहीं है।
दिग्विजय सिंह बुधवार सुबह बेंगलुरु में उन नेताओं से मिलने पहुंचे थे, लेकिन पुलिस ने उन्हें रोक लिया। उसके बाद वह कांग्रेस कार्यकर्ताओं के साथ धरने पर बैठ गए। इसके बाद पुलिस ने उन्हें एहतियातन हिरासत में ले लिया। हालांकि, कुछ देर बाद उन्हें रिहा कर दिया। मध्य प्रदेश के मोरैना जिले के सुमवाली से विधायक ऐडल सिंह कंसाना ने कहा, ' हमें कुछ लोगों के माध्यम से पता चला है कि मध्य प्रदेश कांग्रेस के कुछ नेता, जैसे दिग्विजय सिंह जी हमसे मिलने आए थे। हम उनसे न तो मिलना चाहते और ना ही बातचीत। हम एक साल से बात करने की कोशिश कर रहे हैं और एक साल से किसी ने हमारी बात नहीं सुनी। एक दिन में वे क्या सुनेंगे?'
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नई दिल्ली: मध्य प्रदेश के सियासी घमासान के बीच कांग्रेस की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. कोर्ट में कांग्रेस की ओर से वकील दुष्यंत दवे ने कहा, ''आज हम एक अजीबोगरीब स्थिति में हैं. राज्य की जनता ने कांग्रेस पार्टी (114 सीटों) पर भरोसा किया और भाजपा ने 109 सीटें जीतीं। सबसे बड़ी पार्टी ने उस दिन विश्वास मत जीता था। 18 महीनों से बहुत ही स्थिर सरकार काम कर रही थी।'' कांग्रेस ने आगे कहा, ''स्पीकर को ये देखना होगा कि इस्तीफे स्वैच्छिक हैं या नहीं।'' दवे ने आगे कहा, ''विधायकों को अगुवा किया गया। राज्यपाल ने फ्लोर टेस्ट का जो आदेश भेजा वो पूरी तरह असंवैधानिक है।''
कोर्ट में दुष्यंत दवे ने कहा, ''यह साधारण फ्लोर टेस्ट का सवाल नहीं है, बल्कि बाहुबल और धन शक्ति का उपयोग करके लोकतंत्र को नष्ट करने का सवाल है।'' उन्होंने कहा, ''आज सुबह दिग्विजय सिंह वहां गए लेकिन उन्हें हिरासत में लिया गया है। वे क्या चाहते हैं, मुझे समझ नहीं आ रहा। भाजपा एक जिम्मेदार और केंद्र की सत्ता में पार्टी है। हम एक संकट का सामना कर रहे हैं जो मानवता ने पहले कभी नहीं देखा है, क्या वे चाहते हैं कि अदालत अब इस पर सुनवाई करे।''
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नई दिल्ली: मध्यप्रदेश में जारी सियासी संग्राम के बीच आज मुख्यमंत्री कमलनाथ ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर कांग्रेस विधायकों को बंगलूर में बंधक बनाए जाने का आरोप लगाते हुए कहा कि विधायकों से मिलने से रोकने के लिए तानाशाही पूर्ण रवैया अपनाया जा रहा है। कमलनाथ ने ट्वीट कर कहा 'बैंगलोर में भाजपा द्वारा बंधक बनाये गये कांग्रेस विधायकों से मिलने गये कांग्रेस के राज्यसभा उम्मीदवार दिग्विजय सिंह एवं कांग्रेस के मंत्रियों, विधायकों को मिलने से रोकना, उनसे अभद्र व्यवहार करना, उन्हें बलपूर्वक हिरासत में लेना पूरी तरह से तानाशाही और हिटलर शाही है। पूरा देश आज देख रहा है कि एक चुनी हुई सरकार को अस्थिर करने के लिये किस प्रकार से भाजपा द्वारा लोकतांत्रिक मूल्यों की हत्या की जा रही है।
उन्होंने कहा, ना अभी भाजपा के पास बहुमत है, ना शिवराज सिंह को भाजपा विधायक दल ने अपना नेता चुना है, ना भाजपा की सरकार बनी है, ना कभी बनेगी लेकिन शिवराज सिंह चौहान की मुख्यमंत्री बनने के लिये हड़बड़ाहट, बैचेनी पूरा प्रदेश देख रहा है।
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