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मुंबई: कोरोना संकट के बीच महाराष्ट्र के सियासत में मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और एनसीपी प्रमुख शरद पवार की मुलाकात के बाद अटकलों का बाजार गर्म हो गया है। इस मुलाकात पर जारी सियासी अटकलबाजियों पर विराम लगाने के लिए संजय राउत को सामने आना पड़ा और उन्होंने जोर देकर कहा कि राज्य में हमारी सरकार मजबूत है।

बता दें कि सोमवार की शाम को मातोश्री में उद्धव ठाकरे और शरद पवार के बीच मुलाकात हुई थी। दरअसल, सोमवार की शाम में दोनों नेताओं के बीच करीब डेढ़ घंटे तक मुलाकात का दौर चला था, जिसके सरकार की स्थिरता पर अटकलें तेज हो गईं। इसके बाद संजय राउत ने उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली सरकार की स्थिरता के बारे में अटकलों को खारिज किया। हालांकि, उन्होंने इस बात का खुलासा नहीं किया कि आखिर दोनों नेताओं के बीच किस मुद्दे पर बातचीत हुई। उद्धव ठाकरे और शरद पवार के बीच यह बैठक एनसीपी प्रमुख द्वारा सोमवार सुबह राज्य के राज्यपाल बी एस कोश्यारी से मुलाकात के ठीक बाद हुई। यही वजह है कि महाराष्ट्र की सियासत में अटकलों का बाजार गर्म हो गया।

 

विरोधियों के पेट में दर्द, हो जाएं क्वारंटाइन

संजय राउत ने ट्वीट कर कहा, शरद पवार और उद्धव ठाकरे ने कल मातोश्री पर मुलाकात की। दोनों नेताओं ने करीब डेढ़ घंटे से अधिक तक बातीचत की, अगर कोई खबर फैला रहा है कि महाराष्ट्र की सरकार संकट में है तो उसके पेट में दर्द है। हमारी सरकार मजबूत है और चिंता की कोई बात नहीं है। उन्होंने फिर लिखा, 'विपक्षी पार्टियों ने महाराष्ट्र सरकार का बायकॉट करने का आह्वान किया है। मैं कहना चाहता हूं कि विरोधियों को क्वारंटाइन में जाना चाहिए। महाराष्ट्र सरकार को अस्थिर करने के सभी प्रयासों को विफल कर दिया जाएगा। जय महाराष्ट्र!'

बता दें कि इससे पहले पवार सोमवार की सुबह में राज्यपाल कोशियारी से मिले थे। एनसीपी ने इस मुलाकात पर दावा किया कि था कि यह बैठक राज्यपाल के बुलावे पर हुई और इसमें कीसी तरह के राजनीतिक मुद्दों पर बातचीत नहीं हुई। मगर इसकी टाइमिंग को लेकर अटकलें तेज हो गईं। हालांकि, बैठक का समय महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि यह महा विकास अघाड़ी (एमवीए) सरकार का नेतृत्व कर रही शिवसेना और राज भवन के बीच पिछले दिनों सामने आए गतिरोध की पृष्ठभूमि में हुई है। राकांपा सत्तारूढ़ गठबंधन में शामिल है।

पवार महाराष्ट्र के उन प्रमुख नेताओं में शामिल हैं, जिन्होंने राज्य प्रशासन के कामकाज में हस्तक्षेप को लेकर कोशयारी की खुलकर आलोचना की थी।

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