मुंबई: महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा विधायक दल के नेता देवेंद्र फडणवीस ने राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू किए जाने को मंगलवार (12 नवंबर) को दुभार्ग्यपूर्ण बताया। उन्होंने कहा कि जनता ने महायुति(महागठबंधन) के पक्ष में स्पष्ट जनादेश दिया था, मगर सरकार न बनने के कारण राष्ट्रपति शासन लगा, जो दुभार्ग्यपूर्ण है। हालांकि, फडणवीस ने राज्य को जल्द स्थिर सरकार मिलने की आशा जताई। देवेंद्र फड़णवीस ने राज्य में राजनीतिक अस्थिरता से होने वाले खतरों की तरफ आगाह किया।
उन्होंने कहा कि राजनीतिक अस्थिरता से निवेश पर बुरा असर पड़ सकता है। सरकार के दैनिक कामकाज पर असर पड़ने से जनता को परेशानी हो सकती है। बेमौसम बारिश से परेशान किसानों के सामने संकट और गहरा सकता है। फड़णवीस ने यह भी कहा कि उम्मीद है कि राज्य के हालात पर सभी दल विचार करते हुए स्थिर देने की दिशा में आगे बढ़ेंगे।
वहीं दूसरी ओर, शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने मंगलवार (12 नवंबर) को कहा कि शिवसेना, कांग्रेस और राकांपा मिलकर सरकार बनाने का फार्मूला खोज लेंगे।
उन्होंने कहा कि शिवसेना को भी कांग्रेस और राकांपा की तरह न्यूनतम साझा कार्यक्रम पर स्पष्टीकरण की आवश्यकता है।
संवाददाता सम्मलेन को संबोधित करते हुए ठाकरे ने कहा कि शिवसेना ने कांग्रेस और राकांपा से पहली बार 11 नवंबर को संपर्क किया था। उन्होंने कहा, “कांग्रेस और राकांपा की तरह ही शिवसेना को भी न्यूनतम साझा कार्यक्रम पर स्पष्टीकरण की आवश्यकता है। शिवसेना ने कांग्रेस और राकांपा से पहली बार सोमवार को संपर्क किया था। इससे भाजपा का यह आरोप गलत साबित होता है कि शिवसेना चुनाव परिणाम के बाद से ही कांग्रेस और राकांपा के संपर्क में थी।”