मुंबई: महाराष्ट्र में सरकार गठन को लेकर जारी गतिरोध के बीच शिवसेना के वरिष्ठ नेता संजय राउत ने रविवार को कहा कि उनकी पार्टी भाजपा से केवल मुख्यमंत्री पद के मुद्दे पर ही बातचीत करेगा। राउत ने पत्रकारों से कहा कि गतिरोध जारी है। सरकार गठन को लेकर अभी कोई बातचीत नहीं हुई है। अगर बातचीत होगी, तो केवल मुख्यमंत्री पद को लेकर ही होगी। वहीं, भाजपा का कहना है कि शिवसेना जिद छोड़कर डिप्टी सीएम का पद स्वीकार कर लें और साथ मिलकर सरकार बनाएं।
संजय राउत ने कहा कि उनकी पार्टी को 170 से ज्यादा विधायक समर्थन दे रहे हैं, और यह आंकड़ा 175 तक भी जा सकता है। राउत ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि अमित शाह की ये चुप्पी बुरी है। उन्हें इस मामले पर बोलना चाहिए। उन्होंने कहा कि अमित शाह को बात साफ करनी चाहिए। उन्हें बताना चाहिए कि किस प्रकार दोनों पार्टियां साथ मिलकर सरकार बना सकती हैं। वहीं, महाराष्ट्र में जारी इस सियासी खींचतान के बीच शिवसेना की तरफ से एनसीपी की तारीफ कर एक नया दांव खेला गया है, जिसे लेकर कयास लगाए जा रहे है कि कहीं, शिवसेना एनसीपी के साथ मिलकर सरकार बनाने पर विचार तो नहीं कर रही है।
संजय राउत ने एनसीपी प्रमुख शरद पवार की तारीफ करते हुए कहा कि शरद पवार महाराष्ट्र नहीं देश के नेता हैं। लोगों का मानना है कि शरद पवार महाराष्ट्र के नेता हैं, ऐसा बिल्कुल नहीं है। वह पूरे देश के नेता है। उन्होंने इशारों-इशारों में कहा कि शरद पवार से बात करना गलत नहीं होगा।
इसको लेकर एनसीपी की तरफ से भी बयान आ गया है। एनसीपी नेता नवाब मलिक ने कहा कि महाराष्ट्र में सीएम शिवसेना का हो सकता है, लेकिन इसके लिए शिवसेना को भूमिका साफ करनी होगी।
क्या राष्ट्रपति भाजपा की जेब में हैं?
इससे पहले, शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में भाजपा नेता सुधीर मुनगंटीवार के बयान को लेकर निशाना साधा। सामना में ‘महाराष्ट्र का अपमान, क्या राष्ट्रपति आपकी जेब में हैं?’ शीर्षक से लिखे लेख में मुनगंटीवार के बयान को अलोकतांत्रिक व असांविधानिक बताया गया। इसमें लिखा, मुनगंटीवार द्वारा दी गई धमकी से आम लोग क्या समझेंगे? इसका मतलब भारत के राष्ट्रपति आपकी (भाजपा की) जेब में हैं या राष्ट्रपति दफ्तर की मुहर भाजपा के दफ्तर में रखी हुई है? क्या ये लोग यह बताने की कोशिश कर रहे हैं कि महाराष्ट्र में सरकार नहीं बनने पर भाजपा राष्ट्रपति शासन थोप सकती है।
गौरतलब है कि शुक्रवार को भाजपा नेता ने कहा था कि अगर सात नवंबर तक सरकार नहीं बनती है, तो राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू हो सकता है।
गुर्राने वाले बाघ का क्या करना है, मुझे पता है: मुनगंटीवार
सामना के तीखे संपादकीय पर मुनगंटीवार ने कहा है कि गुर्राने वाले बाघ के साथ क्या करना चाहिए, मुझे पता है क्योंकि मैं राज्य का वनमंत्री हूं। उन्होंने पलटवार करते हुए कहा कि मैंने हमेशा भाजपा-शिवसेना गठबंधंन को जोड़ने के प्रयास किए हैं। इस बार भी हर हाल में गुर्रा रहे बाघ को हमें साथ लेना ही है। चुनाव नतीजों को करीब दस दिन हो रहे हैं और सरकार नहीं बनी है, ऐसे में मैंने वही कहा जो कानून और संविधान के अनुसार है। इसमें गलत कुछ नहीं है।
उन्होंने कहा कि जनादेश का सम्मान करना भाजपा और शिवसेना का कर्तव्य है। मंत्री पदों के बंटवारे पर बैठकर बातचीत हो सकती है। मुझे भरोसा है कि 6 या 7 नवंबर को महाराष्ट्र में नई सरकार शपथ लेगी।