मुंबई: केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने रविवार को अपने साथी नेताओं को अन्य क्षेत्रों में हस्तक्षेप नहीं करने की सलाह दी। उन्होंने कहा, विश्वविद्यालयों, शैक्षणिक संस्थानों, साहित्य और काव्य जगत के लोगों को अपने-अपने क्षेत्रों के मामलों को निपटाना चाहिए। गडकरी ने यवतमाल में सलाना मराठी साहित्य सम्मेलन के समापन समारोह में यह बात कही। यह सम्मेलन लेखिका नयनतारा सहगल को दिया गया न्योता वापस लेने को लेकर विवादों में रहा है। हालांकि, गडकरी ने इस विवाद का सीधे तौर पर जिक्र किए बगैर यह बात कही।
गडकरी ने कहा, आपातकाल के दौरान दुर्गा भागवत और पीएल देशपांडे जैसे मराठी लेखकों के भाषणों के दौरान राजनीतिक रैलियों से ज्यादा भीड़ जुटती थी। ये दोनों लोग चुनावों के बाद साहित्य के क्षेत्र में लौटे थे। उन्होंने यहां तक कि राज्यसभा की सदस्यता जैसी राजनीतिक नियुक्ति की भी मांग नहीं की थी। दुर्गा ने आपातकाल की खुलकर आलोचना की थी, जबकि देशपांडे ने आपातकाल हटने और 1977 में चुनाव की घोषणा होने के बाद जनता पार्टी के लिए प्रचार किया था।
गडकरी ने कहा कि लेखकों और नेताओं के बीच सहयोग, समन्वय तथा संचार होना चाहिए। संचार के अभाव में गलतफहमी होती है और फिर बहस होती है। मंत्री ने कहा कि हमें विपरित विचार प्रकट करने वालों का सम्मान करना चाहिए। कुछ साल पहले पुरस्कार वापसी अभियान में अग्रिम पंक्ति में रही प्रख्यात अंग्रेजी लेखिका सहगल को 92 वें अखिल भारतीय मराठी साहित्य सम्मेलन का उद्घाटन करने के लिए आमंत्रित किया गया था। यह सम्मेलन 11 जनवरी को शुरू हुआ। वहीं, अंग्रेजी भाषा की लेखिका को न्योता दिए जाने का मनसे द्वारा विरोध किए जाने पर आयोजकों ने आमंत्रण वापस ले लिया।