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पुणे: महाराष्ट्र के पुणे जिले में भारी पुलिस बल की मौजूदगी में हजारों लोग, खासकर दलित कोरेगांव भीमा लड़ाई की 201वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में ‘जय स्तम्भ’ पर एकत्र हुए और श्रद्धांजलि दी। कोरेगांव भीमा लड़ाई 1818 में हुई थी। पिछले साल इस लड़ाई की वर्षगांठ के अवसर पर एक जनवरी को हुए जातिगत संघर्ष में एक व्यक्ति की मौत हो गई थी और कई अन्य घायल हो गए थे।कोरेगांव-भीमा संघर्ष की एक और वर्षगांठ नजदीक होने के साथ पुणे पुलिस इस बार पूरी चौकसी बरत रही है ताकि कोई अप्रिय घटना ना हो।

पुणे ग्रामीण के पुलिस अधीक्षक संदीप पाटिल ने मीडिया से कहा कि इस बार जय स्तंभ के आसपास भारी सुरक्षा व्यवस्था की गयी है। गौरतलब है कि एक जनवरी, 2018 को पुणे के पास स्थित कोरेगांव-भीमा में भड़की जातीय हिंसा मामले को एक साल होने को है। ऐसे में पुणे पुलिस यह सुनिश्चित करने के लिए पूरी तरह अलर्ट है कि इस बार हिंसा की कोई घटना नहीं हो। महाराष्ट्र के लिए वर्ष की शुरूआत हिंसा से हुई थी और अगले कुछ महीने तक यह मामला कुछ ना कुछ कारणों से लगातार चर्चा में बना रहा।

भीमा-कोरेगांव संघर्ष की 200वीं वर्षगांठ के पहले तनाव व्याप्त हो गया था क्योंकि कुछ दक्षिणपंथी संगठनों ने आयोजन का विरोध किया था। पुणे से 40 किलोमीटर दूर कोरेगांव-भीमा में जय स्तंभ पर हर साल लोग इकट्ठा होते हैं। लेकिन पिछले साल हिंसा भड़कने पर भीड़ ने वाहनों में आग लगा दी और दुकानों-मकानों में तोड़फोड़ की थी। पुणे के पूर्व शासक पेशवा और ईस्ट इंडिया कंपनी के बीच 1818 में लड़ाई हुई थी। भीमा-कोरेगांव का आज 201वां विजय दिवस है। पिछले साल इस मौक़े पर हुई हिंसा के मद्देनज़र इस बार यहां कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई है। इंटरनेट बंद सेवा को प्रतिबंधित कर दिया है।

लाखों लोगों के पहुंचने की उम्मीद को देखते हुए 5 हज़ार पुलिसकर्मियों के अलावा 2 हज़ार स्वयंसेवक, 1200 होमगार्ड, सीआरपीएफ की 12 टीमें और 31 पुलिस निरीक्षक मुस्तैद हैं। सभी रास्तों की नाकेबंदी कर दी गई है। पूरे शहर में 1300 सीसीटीवी कैमरों और 11 ड्रोन की मदद से पूरे इलाक़े की निगरानी की जा रही है। विजयस्तंभ आने वालों की गाड़ियां 8 किलोमीटर पहले रोकी जा रही हैं। पुणे शहर में भी सुरक्षा इंतज़ाम मज़बूत हैं। जिले में एक जनवरी 2018 को कोरेगांव भीमा युद्ध स्मारक के समीप हुई हिंसा की पुनरावृत्ति को रोकने के लिए पुलिस ने 1200 से अधिक लोगों के खिलाफ एहितायाती कार्रवाई की है।

पुलिस ने यहां शनिवार को बताया कि इस कार्रवाई में कुछ लोगों को क्षेत्र में प्रवेश करने से रोकना और कुछ अन्य को जिला बदर करना शामिल है। जिन लोगों को कोरेगांव भीमा एवं आसपास के क्षेत्रों में प्रवेश करने से रोका गया है उनमें दक्षिणपंथी हिन्दू नेता मिलिंद एकबोटे तथा वाम झुकाव वाले सांस्कृतिक समूह कबीर कला मंच के सदस्य शामिल हैं।

भीम आर्मी के प्रमुख चंद्रशेखर आज़ाद को बॉम्बे हाइकोर्ट से भी राहत नहीं मिली है। हाइकोर्ट ने भीमा-कोरेगांव में रैली करने की इजाज़त नहीं दी है। हालांकि हाइकोर्ट ने कहा है कि चंद्रशेखर भीमा-कोरेगांव स्मारक स्थल जा सकते हैं।

बीते साल साल एक जनवरी को तब हिंसा भड़क उठी थी जब लोग ईस्ट इंडिया कंपनी के बलों की पेशवा की सेना पर हुई जीत की 200वीं जयंती मनाने कोरेगांव भीमा गये थे। इस हिंसा में एक व्यक्ति की जान भी गयी थी।

हिंसा के मामले में कई वामपंथी विचारकों को भी देश भर से गिरफ्तार किया गया था। उन पर हिंसा फैलाने और पीएम मोदी की हत्या की साजिश रचने का भी आरोप लगाया गया है।

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