मुंबई: 2008 के मालेगांव बम धमाकों के मामले में 9 साल के बाद जमानत मिलने के बाद लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद श्रीकांत पुरोहित ने कहा, मैं अपने परिवार के पास वापस जाना चाहता हूं। उन्होंने कहा कि मेरे दो परिवार हैं, पहली मेरी मातृभूमि, सेना और दूसरा मेरा अपना परिवार, जिसमें मेरी मां हैं, पत्नी, दो बच्चे और दो कुत्ते हैं। जेल से छूटने के बाद सबसे पहले मैं घर जाकर मां के हाथ का खाना खाऊंगा। सोमवार को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिलने के बाद लेफ्टिनेंट कर्नल पुरोहित के वकील श्रीकांत शिवदे ने बहुत कोशिश की कि वह मंगलवार को ही जेल से बाहर निकल जाएं। सुप्रीम कोर्ट में लेफ्टिनेंट की पत्नी अपर्णा के जरिये फिर से अर्जी देकर निजी मुचलके को कैश बांड में तब्दील भी करवा लिया गया, लेकिन फिर भी मुंबई सत्र न्यायालय में प्रक्रिया पूरी करने के बाद रिलीज ऑर्डर लेकर तलोजा जेल पहुंचने तक देर हो गई। इस बीच खबर है कि सेना की एक टीम जेल का जायजा लेकर गई है और बहुत उम्मीद है कि अब सेना वाले खुद कर्नल पुरोहित को बुधवार को अपने साथ पुणे उनके घर तक के ले जाएं। अदालत परिसर में दिन भर मीडिया लेफ्टिनेंट कर्नल पुरोहित से बात करने की कोशिश करती रही।
मामले की सुनवाई इन कैमरा होने की वजह से एनआईए कोर्ट में मीडिया को जाने की इजाजत नहीं थी, इसलिए जैसे ही लेफ्टिनेंट कर्नल बाहर आते मीडिया उनसे सवालों की बौछार कर देती। कभी वह जवाब देते तो कभी मुस्कुराकर सवाल टाल देते। ऐसे ही एक सवाल के जवाब में पुरोहित ने बताया कि अगर उन्होंने कोई गलत काम किया होता, तो उनका परिवार उनके साथ खड़ा नहीं रहता। उन्होंने बताया कि छूटने के 24 घंटे के भीतर उन्हें सेना दफ्तर में रिपोर्ट करना है। उन्होंने ये भी कहा कि उनके साथ जो भी हुआ है, उसके लिए वो किसी और को नहीं, अपनी तकदीर को ही दोष देंगे। लेफ्टिनेंट ने बताया कि उनका पूरा खानदान आर्मी में रहा है और वह अपने बच्चों को भी सेना में ही भेजेंगे। 9 साल बाद ही सही जमानत मिलने से लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद श्रीकांत पुरोहित को बड़ी राहत जरूर मिली है, लेकिन असली कानूनी लड़ाई अभी बाकी है और असली जीत तो अदालत से निर्दोष करार दिए जाने पर ही मानी जाएगी।