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जयपुर: पूर्व केंद्रीय मंत्री शशि थरूर ने सोमवार को कहा कि भारतीय राष्ट्रीय चरित्र के हिसाब से हमारे यहां के लिए संसदीय व्यवस्था मुनासिब नहीं है लेकिन देश इसमें अटक गया है क्योंकि वह हर चीज को मूर्त रूप देने के लिए अंग्रेजों की ओर देखता रहा है। थरूर ने कहा कि भारत जैसे विविधतापूर्ण और बड़ी आबादी वाले देश में संसदीय प्रणाली का कारगर होना कठिन है। उन्होंने कहा, ‘भारत के राष्ट्रीय चरित्र के लिए मुनासिब नहीं रहने वाली संसदीय प्रणाली के साथ हमारे अटके होने की एक वजह है कि इस व्यवस्था को अंग्रेजों ने चलाया था और हमें हर चीज को मूर्त रूप देने के लिए हमेशा अंग्रेजों की ओर निहारने की आदत रही है।’ जयपुर साहित्य महोत्सव के अंतिम दिन ‘ऑन अंपायर’ नाम से आयोजित सत्र में थरूर ब्रिटिश लेबर पार्टी के सांसद ट्रिस्टम हंट और पत्रकार स्वप्न दासगुप्ता से भारत में ब्रिटिश साम्राज्य के बारे में चर्चा कर रहे थे।

जोधपुर: केंद्रीय मंत्री वीके सिंह ने लेखकों द्वारा असहिष्णुता का उल्लेख करते हुए पुरस्कार वापसी को एक साजिश करार दिया और कहा कि वह योजनाबद्ध था। सिंह ने साथ ही कहा कि जयपुर साहित्य महोत्सव में करण जौहर की लोकतंत्र एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर टिप्पणी प्रचार हासिल करने और समाचार में बने रहने के लिए थी और उसे 'महत्व नहीं दिया जाना चाहिए।' पाकिस्तान के साथ संबंध के बारे में उन्होंने कहा, 'द्विपक्षीय मुद्दों को सुलझाने के लिए जारी वार्ता की प्रक्रिया पठानकोट जैसी घटनाओं से प्रभावित नहीं होनी चाहिए।'

जयपुर: जाने-माने लेखक और कवि अशोक वाजपेयी ने शनिवार को साहित्य अकादमी पुस्कार वापस लेने से इनकार कर दिया जो उन्होंने लौटा दिया था और कहा कि देश में असहिष्णुता का स्तर उच्च बना हुआ है।’ जयपुर साहित्य उत्सव के इतर वाजपेयी ने कहा, 'असहिष्णुता का स्तर उच्च बना हुआ है और व्यापक है। देखें कि एक दलित छात्र के साथ क्या हुआ जिस वजह से उसे खुदकुशी करनी पड़ी। यह भी एक असहिष्णुता है।' उन्होंने हाल में हैदराबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय द्वारा दी गई डीलिट की उपाधि को प्राधिकारियों के ‘दलित विरोधी’ रवैये के विरोध में वापस की है। वाजपेयी ने कहा कि हालांकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रोहित वेमुला की खुदकुशी पर अपना दुख जताया है लेकिन उन्होंने दलित मुद्दे को तवज्जो नहीं दी।

बूंदी: जिले के नैनवा रेंज के तहत आने वाले बंसी जंगल की जांच चौकी में तीन दिन के अंदर शिकारियों के एक गिरोह ने कम से कम 13 मोरों का कथित तौर पर वध कर दिया। स्थानीय लोगों ने कहा कि बंसी वन जांच चौकी में शानिवार को सात मोरों को जहर देकर मार दिया गया जबकि इसी वन रेंज में गुरूवार को छह अन्य मोरों की हत्या कर दी। इससे मरने वाले राष्ट्रीय पक्षी की संख्या 13 हो गई। हालांकि जिला वन अधिकारी दिग्विजय गुप्त ने सात मोरों को मारे की संख्या को खारिज किया है और कि कहा कि शनिवार सुबह केवल एक मोर मृत मिला। गुप्त ने माना कि इसी क्षेत्र में गुरूवार को छह अन्य मोरों का वध किया गया। उन्होंने कहा कि दोनों मामलों में अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया है।

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