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जयपुर: घड़ी में शाम के 5 बजते ही चुनावी रैलियों से लेकर रोड शो तक सब पर पाबंदी लग गई है। राजस्थान के रण में लंबा और घमासान चला प्रचार का पहिया थम गया है। प्रचार थमने के साथ ही चुनावी शोरगुल और आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी शांत हो गया है। अब उम्मीदवार, मतदाताओं के घर-घर जाकर जरूर वोट की अपील कर सकते हैं। 7 दिसंबर को होने वाले चुनाव में जनता अपने मत का प्रयोग कर प्रदेश मे नई सरकार का गठन करेगी। इस चुनाव में 2274 प्रत्यशियों के भाग्य का फैसला होना है। राज्य में 200 सीट हैं लेकिन मतदान 199 सीटों पर ही होगा।

रामगढ़ विधानसभा में बसपा के एक प्रत्याशी के निधन के कारण इस सीट पर बाद में मतदान होगा। राजनैतिक दलों की शंकाओं के बीच चुनाव आयोग ने राजस्थान की सभी विधानसभा सीटों पर वीवीपैट के इस्तेमाल का फैसला किया है। प्रदेश में ऐसा पहली बार होगा जब हर विधानसभा क्षेत्र में ईवीएम के साथ वीवीपैट का इस्तेमाल होगा।

 

मतदाता के लिए जरूरी सूचना

मतदान के लिए मतदाता का नाम मतदाता सूची में होना अनिवार्य है। इसके पश्चात मतदाता को मतदान केंद्र पर अपनी पहचान स्थापित करानी होगी। राज्य में सभी मतदाताओं को मतदाता फोटो पहचान-पत्र वितरित किए जा रहे हैं। जिन मतदाताओं के पास मतदाता फोटो पहचान-पत्र नहीं, वे अपनी पहचान मतदाता पर्ची या वैकल्पिक दस्तावेजों के माध्यम से करा सकता है।

विधानसभा चुनाव में 51 हजार 965 मतदान केंद्रों पर मतदाता अपने मत का प्रयोग करेगें। प्रदेश में मतदान को सफल बनाने के लिए इस बार 4 करोड़ 77 लाख 89 हजार मतदाता शामिल हैं। जिसमें पुरूष मतदाता की सख्या 2 करोड़ 49 लाख 61 हजार मतदाता वही 2 करोड़ 28 लाख 28 हजार महिला शामिल है,जो चुनाव में अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे।

प्रदेश का यह चुनाव राजनैतिक पार्टियों के साथ चुनाव आयोग के लिए भी खास होने वाला है क्योकि मतदान को सफल बनाने के लिए राजस्थान के मुख्य निर्वाचन अधिकारी आनंद कुमार, एनसीसी की मदद से जरूरतमंद, विकलांग मतदाता को मतदान केन्द्र तक पहुंचाने के लिए वाहनों और व्हीलचेयर की सुविधा प्रदान कर रही है।

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