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'संघर्ष विराम में नहीं थी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता': विदेश सचिव मिस्री
मंत्री शाह को सुप्रीम कोर्ट की फटकार, जांच के लिए एसआईटी गठित

नई दिल्ली: वरिष्ठ भाजपा नेता शत्रुघ्न सिन्हा ने एक बार फिर अपनी ही पार्टी के खिलाफ बोलकर हलचल पैदा कर दी है। शत्रुघ्न ने अरुणाचल प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने के फैसले पर सवाल उठाते हुए ट्वीट किया, 'मुझे हमारे एक्शन हीरो प्रधानमंत्री पर पूरा भरोसा है। लेकिन इस बात से अचंभित हूं कि आखिर उन्हें अरुणाचल में राष्ट्रपति शासन लगाने की राय किसने दी?' उन्होंने अपने पहले के ही ट्वीट को आगे बढ़ाते हुए लिखा, 'ये फैसला ऐसे वक्त में लिया गया, जब मामला कोर्ट में 5 जजों की संवैधानिक पीठ के सामने चल रहा था। आश्चर्य ये है कि आखिर इस मामले में इतनी जल्दी किस बात की थी।' यही नहीं उन्होंने चिंता जताते हुए कहा, 'भगवान हमें माफ करे।

नई दिल्ली: संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) ने आतंकवादी संगठन इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड सीरिया (आईएसआईएस) से कथित तौर पर सहानुभूति रखने वाले और भारत सहित कुछ अन्य देशों में आतंकवादी हमलों को अंजाम देने के मिशन पर रहे तीन भारतीयों को वापस भेज दिया है। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि अदनान हुसैन, मोहम्मद फरहान और शेख अजहर अल इस्लाम को भारत वापस भेजा गया। गुरुवार रात दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर आने के बाद एनआईए ने उन्हें हिरासत में ले लिया और पूछताछ के बाद उन्‍हें गिरफ्तार कर लिया गया है। वे महाराष्ट्र, कर्नाटक और जम्मू-कश्मीर के रहने वाले हैं। गृह मंत्रालय के मुताबिक़ अदनान हुसैन, मोहम्मद फरहान और शेख़ अल इस्लाम को यूएई से डिपोर्ट किया गया।

नई दिल्ली: भारत और पाकिस्तान ने राजनयिक चैनल के जरिये आपसी सहमति से अपने रेल सम्पर्क समझौते को तीन वर्षों के लिए बढ़ा दिया है। विदेश मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि इस समझौते को 19 जनवरी 2016 से 18 जनवरी 2019 तक के लिए बढ़ाया गया है। इस समझौते पर 28 जून 1976 को हस्ताक्षर किया गया था जिससे भारत और पाकिस्तान के बीच यात्री और माल यातायात दोनों के संदर्भ में रेल सम्पर्क संभव हो सका था। अभी दोनों देशों के बीच यात्री एवं माल यातायात अटारी-वाघा होते हुए लाहौर मार्ग और मुनाबाओ-खोखरापार होते हुए कराची के बीच परिचालित होता है।

नई दिल्ली: गुजरात विधानसभा ने जो विवादास्पद आतंकवाद रोधी विधेयक पारित किया था, उसे राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने अतिरिक्त सूचना मांगते हुए लौटा दिया है। इससे पहले पिछली यूपीए सरकार ने भी इसे दो बार खारिज कर दिया था। गुजरात आतंकवाद एवं संगठित अपराध विधेयक 2015 को राष्ट्रपति ने गृह मंत्रालय को लौटाते हुए विधेयक के कुछ प्रावधानों के बारे में और अधिक जानकारी मांगी है। गुजरात के मुख्यमंत्री के तौर पर नरेंद्र मोदी ने इसे साल 2003 में पेश किया था, जिसके बाद से यह लटकता आ रहा है। गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया , 'गृह मंत्रालय गुजरात सरकार से अतिरिक्त जानकारी पाने के बाद उसे राष्ट्रपति को मुहैया करेगा।' गृहमंत्रालय ने राष्ट्रपति को यह सूचना दी। इसके पहले इसने कहा कि वह विधेयक को वापस ले रहा है और उनकी मंजूरी के लिए अतिरिक्त जानकारी के साथ विधेयक सौंपेगा। यह विधेयक आरोपी के मोबाइल फोन की टैपिंग के जरिये जुटाए गए सुबूत की स्वीकार्यता या एक जांच अधिकारी के सामने दिए गए इकबालिया बयान को अदालत में मुहैया करने का रास्ता साफ करेगा।

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