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नई दिल्ली: कोयला घोटाला मामले में आरोप तय करने के संबंध में एक विशेष अदालत ने अपना फैसला सुनाने के लिए चार मार्च की तारीख तय की है जिसमें सीबीआई ने उद्योगपति नवीन जिंदल, पूर्व कोयला राज्यमंत्री डी. नारायण राव और 13 अन्य के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया है। सीबीआई के विशेष न्यायाधीश भरत पाराशर ने सोमवार को कहा कि मामले में आरोपों पर फैसला सुनाने के लिए वह कुछ समय लेंगे क्योंकि सीबीआई और आरोपी के वकील की ओर से पेश दस्तावेजों और उन सभी दलीलों का अध्ययन करेंगे। न्यायाधीश ने कहा, 'मैं कुछ समय लूंगा और इसके लिए चार मार्च की तारीख तय की है।'

नई दिल्ली: हाल ही में देश के कई शहरों में इस्लामिक स्टेट से कथित तौर पर जुड़े कई संदिग्धों की गिरफ्तारी हुई है। प्रमुख मुस्लिम संगठनों की प्रतिनिधि संस्था ऑल इंडिया मुस्लिम मजलिए-ए-मुशाविरत ने जल्द ही इस आतंकी समूह के दुष्प्रचार से मुस्लिम समाज खासकर नौजवानों को आगाह करने के लिए मस्जिदों, मदरसों तथा दूसरे शिक्षण संस्थानों के स्तर से मुहिम शुरू करने का फैसला किया है। इस मुस्लिम समूह ने सरकार से यह मांग भी की है कि सोशल मीडिया और इंटरनेट के उन सभी मंचों पर रोक लगाई जाए जिनके माध्यम से आईएस अपना दुष्प्रचार फैला रहा है। मुशाविरत के अध्यक्ष नावेद हामिद ने बातचीत में कहा, 'दाऐश (आईएस) के खतरे और उसके दुष्प्रचार को लेकर पूरे समाज और खासकर नौजवानों को आगाह करने की जरूरत है।

नई दिल्ली: केंद्र ने अरुणाचल प्रदेश के राजनीतिक संकट पर राज्य के राज्यपाल को भेजा गया सुप्रीम कोर्ट का नोटिस वापस लेने का कोर्ट से अनुरोध किया, जिसके बाद शीर्ष अदालत ने राज्यपाल ज्योति प्रसाद राजखोवा को जारी नोटिस वापस ले लिया। कोर्ट इस तर्क से सहमत था कि राज्यपाल को न्यायिक कार्यवाही में पूरी छूट प्राप्त है। कोर्ट ने केंद्र से कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री और संसदीय सचिवों के कार्यालयों से जब्त सारी फाइलों और दस्तावेजों की प्रतियां शुक्रवार तक उन्हें मुहैया कराई जाए। गौरतलब है कि पिछले शुक्रवार को केंद्र ने इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट में सफाई भी दी थी। केंद्र ने कहा था कि राज्य में राजनीतिक अस्थिरता है और ऐसे में पड़ोसी देश चीन से भी ख़तरा है। राज्यपाल की ओर से भी अपना पक्ष कोर्ट को दिया जा चुका है।

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून को लागू न करने को लेकर कुछ राज्यों को आज फटकार लगाते हुए कहा कि संसद द्वारा पारित कानून को आखिर गुजरात जैसा राज्य क्यों कार्यान्वित नहीं कर रहा है। न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर की अगुवाई वाली एक पीठ ने कहा, ‘संसद क्या कर रही है? क्या गुजरात भारत का हिस्सा नहीं है? कानून कहता है कि वह पूरे भारत के लिए है और गुजरात है कि इसका कार्यान्वयन नहीं कर रहा है। कल कोई कह सकता है कि वह आपराधिक दंड संहिता, भारतीय दंड संहिता और प्रमाण कानून को लागू नहीं करेगा।’ पीठ ने केंद्र से कहा कि वह सूखा प्रभावित राज्यों में मनरेगा, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा और मध्याह्न भोजन जैसी कल्याणकारी योजनाओं की स्थिति के बारे में जानकारी एकत्र करे। केंद्र से पीठ ने 10 फरवरी तक हलफनामा दायर करने को कहा और मामले की अगली सुनवाई दो दिन बाद नियत कर दी।

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