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नई दिल्ली: कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने रविवार को सरकार पर नेट न्यूट्रिलिटी पर फैसले को बार-बार चर्चा के बहाने लंबित करने का आरोप लगाया। राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि ‘डिजिटल इंडिया’ बड़े सुदूर निगमों द्वारा नियंत्रित इंटरनेट के लिए ‘मीठी मीठी बात’ नहीं बन सकता। राहुल ने कहा कि कांग्रेस ने हमेशा से ‘इंटरनेट के लिए आजादी’ और ‘नेट न्यूट्रिलिटी’ की वकालत की है और पार्टी चाहती है कि इंटरनेट सेवा प्रदाता (आईएसपी)-दूरसंचार सेवा प्रदाता (टीएसपी) और सरकार को इंटरनेट पर समस्त डाटा को एक समान मानना चाहिए। कांग्रेस उपाध्यक्ष ने एक बयान में कहा, ‘डिटिजल इंडिया के साथ लोगों की इंटरनेट तक, पूरे इंटरनेट तक पहुंच और बढ़े और वेब पर मुख्य रूप से कोई फिल्टर नहीं लगे।

21वीं सदी में तरक्की के लिए भारत के लिए यह अपरिहार्य है। मैं गंभीरता के साथ उम्मीद करता हूं कि ट्राई की रिपोर्ट और मोदी सरकार लाखों भारतीयों की इस जरूरत का समर्थन करेंगे।’ उन्होंने प्रधानमंत्री के लिए अपने संदेश में कहा कि ‘डिटिजल इंडिया’ बड़े सुदूर निगमों द्वारा संचालित इंटरनेट की ‘मीठी मीठी बातें’ नहीं बन सकता। डिजिटल इंडिया का मतलब होना चाहिए सार्वजनिक सुविधा के तौर पर, खुली और उत्पादक इंटरनेट कनेक्टिविटी। राहुल ने कहा, ‘कांग्रेस पार्टी और मेरी सोच हमारे इस विश्वास से बनी है कि इंटरनेट उपभोक्ताओं को किसी भी वेबसाइट पर जाने की आजादी होनी चाहिए, जिसे वे खोलना चाहें। इस तरह ‘वर्ल्ड वाइड वेब’ पर एक समान अवसर होने चाहिए। हम एक सार्वजनिक इंटरनेट पर एक निजी मंच को नये डिजिटल विभाजन के अधिकार देने के खतरे को समझते हैं।’ राहुल चाहते हैं कि सरकार इस बात को स्वीकार करे कि इंटरनेट गरीबी उन्मूलन का एक शक्तिशाली साधन है जो असीम संभावनाएं पेश कर रहा है, चाहे मानसून की जानकारी चाह रहे किसान हों, बाजार में खरीददारों से संपर्क साधने वाले कारीगर हों या किसी ऑनलाइन पाठ्यक्रम में पंजीकरण कराने वाला ग्रामीण भारत का कोई छात्र हो, सभी के लिए अवसर होते हैं। इस विषय पर संसद में भी अपने विचार रख चुके कांग्रेस उपाध्यक्ष ने केंद्र पर हमला बोलते हुए कहा, ‘‘नासकॉम ने नेट न्यूट्रिलिटी के लिए कहा है। 500 से अधिक स्टार्ट-अप उद्यमी इसकी मांग कर रहे हैं, भारत के युवा इसकी मांग कर रहे हैं, फिर भी हमारी सरकार बार-बार चर्चा के बहाने इस पर एक स्पष्ट नीति बनाने में देरी कर रही है।’ उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार ने धीरे से दूसरा रास्ता सोचा और दूरसंचार कंपनियों ने शून्य रेटिंग योजना के माध्यम से दरों में अंतर की शुरूआत की। भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने इस विषय पर दो बार परामर्श पत्र जारी किये हैं जिनमें नेट न्यूट्रिलिटी, फ्री बेसिक्स और डाटा मूल्य अंतर पर उपभोक्ताओं के लिए एक समान प्रश्न थे। राहुल ने कहा, ‘चूंकि लाखों भारतीयों की बात है, इसलिए मैं उत्सुकता के साथ ट्राई रिपोर्ट (जो 31 जनवरी को आने के लिए निर्धारित थी) को और संपूर्णता के साथ खुले इंटरनेट के पक्ष में मोदी सरकार की प्रतिबद्धता को देखने की उम्मीद कर रहा हूं जहां मूल्य में अंतर या वीओआईपी के संबंध में कोई अस्पष्टता नहीं हो।’ कांग्रेस उपाध्यक्ष के मुताबिक वह जानते हैं कि पिछले कुछ महीने इंटरनेट की आजादी और नेट न्यूट्रिलिटी से जुड़े कार्यकर्ताओं, सिविल सोसायटी और शोधकर्ताओं के लिए आसान नहीं रहे, जो ‘बाजार की भ्रामक चालों’ के बावजूद जनता को उपयोगी और प्रासंगिक जानकारी प्रसारित करने के अभियान में शामिल रहे। उन्होंने कहा, ‘मैं उनकी अदम्य भावना को सलाम करता हूं और उन्हें बधाई देना चाहता हूं।’

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