नई दिल्ली: स्कॉर्पिन पनडुब्बी परियोजना पर लीक को ‘शर्मनाक’ करार देते हुए कांग्रेस ने उच्चतम न्यायालय के वर्तमान न्यायाधीश से रक्षा मंत्रालय की पूरी तरह सुरक्षा ऑडिट कराने की मांग की। पार्टी ने आरोप लगाया कि रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ‘ऑपरेशन लीपापोती’ में लगे हुए हैं। पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने यहां संवाददाताओं से कहा कि ऑडिट जांच आयोग के रूप में हो सकता है और इसमें रक्षा मंत्री और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सहित राजनीतिक लोगों की जिम्मेदारी तय की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि जांच में रक्षा मंत्री और रक्षा मंत्रालय की जांच होनी चाहिए जिसमें देखा जा सके कि क्या उन्होंने अपनी जिम्मेदारी निभाई अथवा नहीं। उन्होंने कहा कि लीक से भारत की समुद्री सुरक्षा पर प्रश्नचिह्न खड़ा हो गया है। सुरजेवाला ने इसे हाल का ‘सबसे बड़ा रक्षा आपदा’ बताते हुए कहा कि इससे फ्रांस की कंपनी डीसीएनएस के साथ मिलकर करीब 23 हजार 500 करोड़ रूपये की लागत से छह स्कॉर्पिन पनडुब्बी के निर्माण की पहल को झटका लगा है। मुंबई की मझगांव डॉकशिप बिल्डर्स इसे फ्रांसीसी कंपनी के साथ बनाने वाली थी। उन्होंने आरोप लगाया, ‘इस ‘बहुत बड़ी गलती’ से भारत की रक्षा तैयारियां बुरी तरह प्रभावित हुई हैं लेकिन मोदी सरकार रक्षा मंत्री की जिम्मेदारी तय करने के बजाए इसकी ‘ऑपरेशन लीपापोती’ में लगे हुए हैं।’ सुरजेवाला ने दावा किया कि रक्षा मंत्री और भारतीय नौसेना सहित सभी संबंधित पक्ष विरोधाभासी सुर में बोल रहे हैं।
उन्होंने कहा कि पर्रिकर जहां लीक को ‘हैकिंग’ बता रहे हैं वहीं नौसेना का कहना है कि ‘लीक विदेशों में हुई है न कि भारत में।’ उन्होंने कहा कि फ्रांसीसी कंपनी डीसीएनएस ने स्पष्ट रूप से संकेत दिया है कि लीक भारत में हुई होगी। सुरजेवाला ने कहा कि 7517 किलोमीटर लंबे तट की सुरक्षा की जानी है लेकिन महज 13 पनडुब्बी और एक परमाणु पनडुब्बी के सहारे इतने बड़े तट की रक्षा करना सरकार के लिए भ्रामक स्थिति है। उन्होंने कहा, ‘यह पहेली है कि बिना उचित जांच कराए कैसे ‘क्लीनचिट’ दिया जा रहा है। इस तरह की जांच निष्पक्ष होने के लिए उच्चतम न्यायालय के वर्तमान न्यायाधीश स्तर के प्राधिकार से जांच कराई जानी चाहिए जिसमें सशस्त्र बल, नौसेना और सैन्य खुफिया, आईबी या अन्य विशिष्ट एजेंसियों के अधिकारी सदस्य हो सकते हैं।’ सुरजेवाला ने कहा कि यह ‘भयावह’ स्थिति है जिसमें मझगांव डॉक शिप बिल्डर्स लिमिटेड के साथ ही रक्षा मंत्रालय की पूरी तरह ‘सुरक्षा ऑडिट’ होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि इस तरह की सुरक्षा ऑडिट, जांच आयोग से ही लीक के स्रोत का पता चलेगा। इसे महज रक्षा मंत्री या भारतीय नौसेना की तरफ से इंकार करने से प्रमाणित नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि रक्षा मंत्री इन मुद्दों को ढक नहीं सकते और अभूतपूर्व लीक के लिए राजनीतिक लोगों, नौकरशाहों और अधिकारियों की जवाबदेही तय की जानी चाहिए जिससे राष्ट्रीय हित की अपूरणीय क्षति हुई है। छह उन्नत पनडुब्बियों की क्षमता पर 22 हजार पन्ने से ज्यादा गोपनीय आंकड़े लीक हो गए हैं जिससे सुरक्षा प्रतिष्ठानों में बेचैनी है।