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नई दिल्ली: चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की और अपनी भारतीय समकक्ष सुषमा स्वराज के साथ वार्तालाप किया। समझा जाता है कि सुषमा के साथ वार्तालाप के दौरान परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह की सदस्यता के लिए भारत की कोशिश तथा अन्य क्षेत्रीय एवं द्विपक्षीय मुद्दे उठे। वांग और सुषमा ने सालाना ब्रिक्स शिखर सम्मेलन से जुड़े मुद्दों पर भी चर्चा की। ब्रिक्स शिखर सम्मेलन अक्तूबर में गोवा में होने जा रहा है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने ट्वीट किया ‘परस्पर महत्व के मुद्दों पर चर्चा हुई। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने अपने चीनी समकक्ष वांग यी से नई दिल्ली में मुलाकात की।’ साथ ही उन्होंने दोनों विदेश मंत्रियों की मुलाकात की एक तस्वीर भी पोस्ट की है। तीन दिवसीय भारत दौरे पर आए वांग कल गोवा गए थे जहां उन्होंने राज्य के मुख्यमंत्री लक्ष्मीकांत परसेकर से मुलाकात की और ब्रिक्स शिखर सम्मेलन की तैयारियों के बारे में विचार विमर्श किया। चीनी विदेश मंत्री कल रात नई दिल्ली पहुंचे। वह मोदी से मिले और फिर सुषमा के साथ वार्तालाप किया। चीन ने जून में परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह में भारत की सदस्यता की कोशिश 48 देशों के समूह की पूर्ण बैठक में इस आधार पर बाधित कर दी थी कि भारत ने परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं।

गौरतलब है कि शुक्रवार की शाम वांग यी के आगमन पर चीनी समाचार एजेंसी शिन्हुआ ने भारत और चीन को प्रतिस्पर्धी नहीं बल्कि साझेदार करार देते हुए कहा कि ‘दोनों ही देशों को अपनी असहमतियों को नियंत्रण में रखने के लिए मिल कर काम करना चाहिए।’चीनी एजेंसी ने इस बात पर भी ज़ोर दिया था कि भारत को एनएसजी में प्रवेश नहीं मिलने का ठीकरा चीन पर न फोड़ा जाए। काफी वक्त तक अप्रत्यक्ष रूप से 'एक देश' की तरफ इशारा करने के बाद भारत ने आखिरकार सीधे तरीके से चीन को एनएसजी की सदस्या में बाधा डालने के लिए जिम्मेदार ठहाराया। विदेशमंत्री सुषमा स्वराज ने संसद में कहा कि सरकार चीन का समर्थन हासिल करने के लिए लगातार बीजिंग से संवाद करता रहेगा। उधर शिन्हुआ ने शुक्रवार को यह कहा कि नई दिल्ली को दिल छोटा नहीं करना चाहिए क्योंकि एनएसजी के दरवाज़ें कस कर बंद नहीं हुए हैं।हालांकि साथ ही चीन की इस अनवरत मांग की तरफ भी इशारा किया कि वैश्विक परमाणु वाणिज्य का नियंत्रण करने वाले 48 सदस्यीय निकाय में एनपीटी पर दस्तखत अनिवार्य है और अभी तक एनपीटी पर दस्तखत नहीं करने वाले के एनएसजी सदस्य बनने की कोई मिसाल नहीं है।

 

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