ताज़ा खबरें

श्रीनगर: पाक अधिकृत कश्‍मीर (पीओके) में पाकिस्‍तान के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन होने की खबर है। पीओके में बीते कुछ महीने से जिस तरह लगातार प्रदर्शन हो रहे हैं, उससे पाकिस्तान की कलई खुल रही है। कश्मीर में आए दिन मानवाधिकार का राग अलापनेवाला पाकिस्तान पीओके में मौजूदा हालत को लेकर खुद फंसता जा रहा है। जानकारी के अनुसार, पाकिस्‍तान के अत्‍याचार के खिलाफ पीओके में हजारों की संख्‍या में लोगों ने शनिवार को प्रदर्शन किया। गिलगित-बाल्टिस्‍तान में हुए इस जोरदार प्रदर्शन में बड़ी संख्‍या में लोगों ने सड़कों पर उतरकर अपने गुस्‍से का इजहार किया और पाकिस्‍तान से आजादी के नारे लगाए। साथ ही गिलगिट से पाकिस्‍तानी फौज हटाने की मांग की है। गिलगिट-बाल्टिस्‍तान में पाकिस्‍तान और पाक पुलिस के अत्‍याचारों के खिलाफ नारेबाजी करते हुए हजारों की संख्‍या में लोग प्रदर्शन में शामिल हुए और नारेबाजी की। प्रदर्शन कर रहे नाराज स्थानीय लोगों का कहना है कि पाकिस्तानी सेना ने 500 युवाओं को इसलिए हिरासत में ले लिया है क्‍योंकि उन्‍होंने सेना को गिलगित छोड़ने के लिए कहा था। यह कोई पहली बार नहीं है जब गिलगित-बाल्टिस्‍तान में इस तरह पाकिस्‍तान के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। पहले भी कई बार स्‍थानीय लोग पाक सेना के बढ़ते अत्‍याचारों के खिलाफ सड़कों पर उतरकर विरोध प्रदर्शन कर चुके हैं। जानकारों के अनुसार, गिलगित-बाल्टिस्तान में हो रहे विरोध प्रदर्शन की वजह पाकिस्तान की शह पर इलाके में बढ़ती चीन की दखलंदाजी है।

स्थानीय लोगों का आरोप है कि ये दोनों मुल्क इलाके में मौजूद उनके संसाधनों का सिर्फ अपने फायदे के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं। गिलगित-बाल्टिस्तान में बसे लोगों का मुख्य विरोध चीन-पाकिस्तान के बीच बन रहे आर्थिक गलियारे को लेकर है। लोगों का कहना है कि झूठ और फरेब में माहिर चीन और पाकिस्तान ने इस योजना को लेकर उनसे कभी सलाह मशविरा नहीं किया और जबरन उनकी जमीनें हथिया लीं। गिलगित-बाल्टिस्तान में लोग इसलिए भी हताश हैं क्योंकि चीनी लोगों की मौजूदगी ने उनके रोजगार भी छीन लिए हैं। जानकार मानते हैं कि चीन-पाकिस्तान के बीच बनने वाले आर्थिक गलियारे का असली मकसद इलाके में मौजूद संसाधनों का दोहन करना है। बता दें कि गिलगित-बाल्टिस्तान इलाके को पाकिस्तान ने 1947 में अवैध रूप से हथिया लिया था। तभी से ये विवादित क्षेत्र हैं जिसकी वजह से यहां पर लोगों को बुनियादी सुविधाएं तक नहीं मिल सकी हैं।

  • देश
  • प्रदेश
  • आलेख