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नई दिल्ली (जनादेश ब्यूरो): भारत में लोकसभा चुनाव चल रहे हैं। ऐसे में राजनीतिक दलों में आरोप-प्रत्यारोप का दौर बना हुआ है। जहां कांग्रेस देश की सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी के अमीरों के हित वाली पार्टी होने का आरोप लगाती रहती है। वहीं, भाजपा भी कांग्रेस पर परिवारवाद को लेकर निशाना साधती रहती है। इस बीच, इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष सैम पित्रोदा ने कुछ ऐसा बयान दे दिया है जिसने भारत की राजनीति में हलचल मचा दी है।

यूएस में लगता है विरासत टैक्स, भारत में भी होना चाहिए: पित्रोदा

सैम पित्रोदा ने कहा, 'अमेरिका में विरासत कर (टैक्स) लगता है। अगर किसी के पास 100 मिलियन डॉलर की संपत्ति है और जब वह मर जाता है तो वह केवल 45 फीसदी अपने बच्चों को दे सकता है। 55 फीसदी सरकार द्वारा हड़प लिया जाता है। यह एक दिलचस्प नियम है। यह कहता है कि आपने अपनी पीढ़ी में संपत्ति बनाई और अब आप जा रहे हैं, आपको अपनी संपत्ति जनता के लिए छोड़नी चाहिए। हालांकि पूरी नहीं, आधी ही। ये जो निष्पक्ष कानून है मुझे अच्छा लगता है।'

जब हम धन के पुनर्वितरण की बात करते...

उन्होंने आगे कहा, 'हालांकि, भारत में आपके पास ऐसा नहीं है। अगर किसी की संपत्ति 10 अरब है और वह मर जाता है, तो उसके बच्चों को 10 अरब मिलते हैं और जनता को कुछ नहीं मिलता। इसलिए लोगों को इस तरह के मुद्दों पर बहस और चर्चा करनी होगी। मुझे नहीं पता कि आखिर में निष्कर्ष क्या निकलेगा, लेकिन जब हम धन के पुनर्वितरण की बात करते हैं, तो हम नई नीतियों और नए कार्यक्रमों के बारे में बात करते हैं, जो लोगों के हित में हैं न कि केवल अति-अमीरों के हित में।'

कांग्रेस बनाएगी एक ऐसी नीति

पित्रोदा ने कहा, 'यह एक नीतिगत मुद्दा है। कांग्रेस पार्टी एक ऐसी नीति बनाएगी, जिसके माध्यम से धन का बांटना बेहतर होगा। हमारे पास (भारत में) न्यूनतम मजदूरी नहीं है। अगर देश में न्यूनतम मजदूरी हो और कहा जाए कि आपको गरीबों को इतना पैसा देना चाहिए, तो यह धन का बंटवारा है। आज, अमीर लोग अपने चपरासी और नौकर को पर्याप्त भुगतान नहीं करते हैं, लेकिन वे उस पैसे को दुबई और लंदन में छुट्टी पर खर्च करते हैं। हमारे पास अभी तक न्यूनतम मजदूरी का कोई कानून नहीं है।'

ऐसा सोचना नासमझी

उन्होंने कहा, 'जब आप धन के बंटवारे के बारे में बात करते हैं, तो इसका मतलब यह नहीं है कि आप कुर्सी पर बैठते हैं और कहते हैं कि मेरे पास इतना पैसा है और मैं इसे हर किसी में बांट दूंगा। ऐसा सोचना नासमझी है। एक देश का प्रधानमंत्री ऐसा सोचता है, तो मुझे उनकी समझ को लेकर कुछ चिंताएं हैं। आप वास्तव में धन के पुनः वितरण के लिए नीतिगत मुद्दों से निपट रहे हैं और जब आप आंकड़े मांगते हैं, तो आप वास्तव में यह समझने की कोशिश कर रहे हैं कि आज बंटवारा क्या है।'

उन्होंने आगे कहा, 'हमारे पास इस सब पर सटीक आंकड़ा नहीं है। मुझे लगता है कि हमें नीतिगत मुद्दों पर निर्णय लेने के लिए आंकड़े की आवश्यकता है। हमें धन बांटने के लिए आंकड़े की आवश्यकता नहीं है। हमें आगे बढ़ने वाले नीतिगत मुद्दों पर निर्णय लेने के लिए आंकड़े की आवश्यकता है।'

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