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नई दिल्ली (जनादेश ब्यूरो): ईवीएम में हेरफेर की आशंकाएं जताते हुए वीवीपैट का ईवीएम से 100 प्रतिशत मिलान करने की मांग पर सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को याचिकाकर्ता से कहा कि हमारा सिस्टम अच्छे से काम कर रहा है। हमारे मतदाताओं की संख्या भी बढ़ी है और यह लोगों के विश्वास को दर्शाता है।

वीवीपैट पर्ची मतदाताओं को दिये जाने की दलील पर कोर्ट ने कहा कि क्या इससे मतदान की गोपनीयता नहीं प्रभावित होगी। कोर्ट ने विदेशों के उदाहरण पर कहा कि यह मत सोचिये कि विदेशी देश भारत से ज्यादा उन्नत हैं। उधर दूसरी ओर चुनाव आयोग ने ईवीएम और वीवीपैट मशीनों के रखरखाव से लेकर मतदान और मतगणना तक की प्रक्रिया का विस्तार से ब्योरा देते हुए कहा कि सिस्टम फूलप्रूफ है, इसमें कोई हेरफेर नहीं हो सकती।

हर चीज पर संदेह नहीं जताया जाना चाहिए: सुप्रीम कोर्ट 

सुप्रीम कोर्ट ने सभी पक्षों की बहस सुनकर फैसला सुरक्षित रख लिया। कोर्ट ने याचिकाकताओं द्वारा ईवीएम और वीवीपैट पर बार बार संदेह जताए जाने पर टिप्पणी करते हुए कहा, हर चीज पर संदेह नहीं जताया जाना चाहिए।

उन्होंने कहा, चुनाव आयोग ने कुछ अच्छा किया है, उसकी सराहना भी की जानी चाहिए। हर बार आलोचना नहीं करनी चाहिए।

कोर्ट ने एडीआर संस्था की ओर से बहस कर रहे वकील प्रशांत भूषण से कहा कि आपने जो मुद्दे उठाए हैं, उनका चुनाव आयोग की ओर से स्पष्टीकरण दिया गया है। मतदाता को चुनाव आयोग द्वारा दिए गए स्पष्टीकरण से संतुष्ट होना होगा।

सालिसिटर जनरल मेहता ने क्या दी दलील?

सालिसिटर जनरल तुषार मेहता ने चुनाव के ठीक पहले इस तरह की याचिकाएं लाए जाने पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि इससे मतदाताओं के मन में शंका पैदा होती है। इसका असर मतदान पर पड़ता है। यह लोकतंत्र को नुकसान पहुंचता है। लेकिन कोर्ट ने उनके आरोप को नकारते हुए कहा कि प्रशांत भूषण की याचिका पहले की है। कोर्ट समय की कमी के कारण उसे नहीं सुन पाया था। हां कुछ याचिकाएं जरूर बाद में दाखिल हुई हैं। लेकिन मेहता इतने पर ही नहीं रुके उन्होंने यह भी कहा कि कल को कोई प्लांटेड आर्टिकल के लिए तैयार रहिए।

जस्टिस खन्ना ने इस पर कहा कि लोगों को सोशल मीडिया पर अपनी राय पोस्ट करने की स्वतंत्रता है और वे ऐसा कर सकते हैं। ये टिप्पणियां न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और दीपांकर दत्ता की पीठ ने गैर सरकारी संगठन एडीआर और कुछ अन्य की याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान कीं।

क्या है पूरा मामला?

याचिकाओं में वीवीपैट का ईवीएम से 100 प्रतिशत मिलान कराने या फिर पुरानी व्यवस्था बैलेट से चुनाव कराने की मांग की गई है। वैसे कोर्ट ने गुरुवार को भी बैलेट से चुनाव की मांग फिर नकार दी थी और कहा कि उन्हें याद है कि बैलेट से वोट के वक्त क्या होता था। आयोग ने पूरी प्रक्रिया बताया। बताया कि तीनों मशीने एक दूसरे से जुड़ी रहती हैं। जब मतदान के लिए बटन दबता है तो वीवीपैट पर्ची निकलती है और पर्ची जब कटकर बाक्स में गिर जाती है, तब मत पड़ने की प्रक्रिया पूरी होती है। इसके बाद पोलिंग अधिकारी दूसरे मतदान के लिए मशीन को ऑन करता है, ऐसे में किसी तरह के हेरफेर की गुंजाइश नहीं है।

आयोग ने यह भी बताया कि वीवीपैट के पारर्दशी शीशे में कोई बदलाव नहीं किया गया है। कोर्ट ने आयोग से हर तरह का सवाल किया यहां तक कि हर वीवीपैट पर्ची या हर चुनाव चिन्ह का बार कोड जारी करने की संभावनाओं पर भी चर्चा की। कोर्ट ने गुरुवार को चुनाव आयोग से ईवीएम और वीवीपैट मशीन में हेरफेर पर सजा के प्रावधान के बारे में फिर पूछा और कहा कि यह गंभीर मुद्दा है।

 

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