नई दिल्ली: पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने सोमवार को तिहाड़ जेल में आम आदमी पार्टी (आप) के प्रमुख और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से मुलाकात की। मुलाकात के बाद मान ने कहा कि अरविंद केजरीवाल के साथ "आतंकवादी जैसा व्यवहार किया जा रहा है" और उन्हें 'हार्डकोर अपराधियों' जैसी सुविधाएं भी नहीं दी जा रही हैं। मान ने भाजपा पर आम आदमी पार्टी को "पहला वोट पड़ने से पहले ध्वस्त करने" की कोशिश का आरोप लगाया और कहा कि "जब परिणाम आएंगे तो आप एक बड़ी राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी के रूप में उभरेगी।"
भगवंत मान और अरविंद केजरीवाल के बीच तिहाड़ में कांच की दीवार से विभाजित कमरे में मुलाकात हुई। दोनों नेताओं ने इंटरकॉम के जरिए करीब 30 मिनट तक बात की। मान ने कहा, "मैं उन्हें देखकर भावुक हो गया। उनके साथ एक कट्टर अपराधी की तरह व्यवहार किया जा रहा है। उनका क्या दोष है...यही कि उन्होंने मोहल्ला क्लीनिक बनाए?"
मान ने जेल में दिल्ली के लोगों की चिंता के लिए अपने पार्टी प्रमुख की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि केजरीवाल शासन पर चर्चा के लिए अगले सप्ताह दो मंत्रियों को तिहाड़ जेल बुलाने की योजना बना रहे हैं।
इस्तीफे की मांग को किया जा चुका है खारिज
दिल्ली के मुख्यमंत्री पद से केजरीवाल के इस्तीफे की मांग को खुद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी ने खारिज कर दिया है और यह तर्क दिया है कि मुख्यमंत्री पर अब तक केवल अपराध का आरोप लगाया गया है और उन्हें दोषी नहीं ठहराया गया है। इसलिए केजरीवाल ने तिहाड़ जेल से अपनी सरकार चलाना जारी रखा है। साथ ही जेल जाने के बाद से वह पहले ही स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज और पीडब्ल्यूडी मंत्री आतिशी को दो निर्देश दे चुके हैं।
भगवंत मान ने पिछले सप्ताह केजरीवाल से मिलने के लिए आवेदन किया था, लेकिन सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए उन्हें अस्वीकार कर दिया गया था। आक्रोश के बाद जेल अधिकारियों और दिल्ली और पंजाब पुलिस ने बैठक कर योजना तैयार की और शुक्रवार को दोनों की मुलाकात को हरी झंडी दे दी गई।
ईडी ने किया था केजरीवाल को गिरफ्तार
दिल्ली के मुख्यमंत्री को पिछले महीने ईडी ने कथित शराब नीति घोटाले से जुड़े भ्रष्टाचार के आरोप में गिरफ्तार किया था और ईडी द्वारा अपनी हिरासत में एक सप्ताह से अधिक समय तक पूछताछ करने के बाद जेल भेज दिया गया था। आज सुबह उनकी जेल की अवधि 23 अप्रैल तक बढ़ा दी गई।
ईडी का मानना है कि केजरीवाल अब खत्म हो चुकी शराब नीति के निर्माण में सीधे तौर पर शामिल थे। जिससे कथित तौर पर रिश्वत के तौर पर 600 करोड़ रुपये प्राप्त हुए, जिससे आम आदमी पार्टी के चुनाव अभियानों में मदद मिली।