नई दिल्ली (जनादेश ब्यूरो): लोकसभा के आम चुनाव से पहले केंद्र सरकार के अंतरिम बजट को अधिकतर विपक्षी दलों ने निराशाजनक करार दिया। जहां कांग्रेस की पूर्व अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने इससे जुड़े सवालों का जवाब नहीं दिया। वहीं, नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) के नेता फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि असली वाला बजट तो जुलाई में आएगा। वहीं, कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई की ओर से इस बजट को लेकर दावा किया गया कि इस बजट में मध्यम वर्ग और गरीबों के लिए कुछ नहीं था। सिर्फ अच्छे शब्द और जुमले थे। जो भी कुछ मिला वह सिर्फ बड़े उद्योगपतियों को मिला। ऐसे में गरीब और मध्यम वर्ग के लोग इस बजट को शून्य अंक देंगे, जबकि पीएम मोदी के करीबी उद्योगपति इसे 10 में 10 नंबर देंगे।
कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने अंतरिम बजट पर कहा, 'इस बजट में गरीबों के लिए और मध्यम वर्गीय परिवारों के लिए कुछ भी नहीं था। सिर्फ काम चलाने के लिए यह बजट है। बीते दस साल से सरकार ने कितने कार्य किए हैं, उसका कोई जिक्र नहीं था।
उन्होंने कहा, बीजेपी कहती है कि हमने देश में बहुत कार्य किये हैं। लेकिन उसका कोई जिक्र नहीं था। बीजेपी ने अपने वादे पूरे नहीं किए है। इस बजट में कुछ भी नहीं है। रक्षा क्षेत्र के लिए भी कुछ नहीं है।'
'इंडिया' गठबंधन जीतेगा, हम पेश करेंगे अच्छा बजट- डीएमके सांसद
डीएमके सांसद तिरुचि शिवा ने अंतरिम बजट पर कहा, "बजट में कुछ खास नहीं है। इसमें बेहतर भविष्य के वादों की झलक नहीं दिखती। वे अगले पूर्ण बजट का इंतजार कर रहे हैं, लेकिन वह हम पेश करेंगे। 'इंडिया' गठबंधन लोकसभा चुनाव जीतेगा और हम सबसे अच्छा बजट पेश करेंगे।"
आम लोगों को लुभाने का बजट: अधीर रंजन चौधरी
कांग्रेस के सांसद अधीर रंजन चौधरी ने अंतरिम बजट को लेकर कहा कि यह चुनावी साल है, इसलिए फुल बजट नहीं लाया जाता है। आम लोगों को लुभाने के लिए सरकार तरीके निकाल रही है। हमें देखना है कि यह कैसा बजट है। यह सिर्फ आम चुनाव में आम लोगों को लुभाने का बजट है।
'दक्षिण भारत के राज्यों को करनी पड़ेगी अलग देश की मांग'
अंतरिम बजट 2024 पर बेंगलुरु से कांग्रेस सांसद डीके सुरेश ने कहा, ''यह चुनावी बजट है। अंतरिम बजट में सिर्फ नाम बदले गए हैं। उन्होंने योजनाओं के कुछ संस्कृत नाम और हिंदी नाम पेश किए हैं। केंद्र दक्षिण भारतीय राज्यों को जीएसटी और प्रत्यक्ष करों का हिस्सा सही तरीके से नहीं दे रहा है। दक्षिण भारतीय राज्यों को अन्याय का सामना करना पड़ रहा है। दक्षिणी राज्यों से एकत्र धन उत्तर भारतीय राज्यों को दिया जा रहा है। अगर ऐसा ही चलता रहा तो हम एक अलग देश की मांग करने के लिए मजबूर होंगे। केंद्र को हमसे 4 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा मिल रहे हैं और बदले में हमें जो मिल रहा है वह नगण्य है। हमें इस पर सवाल उठाना होगा। अगर इसे ठीक नहीं किया गया तो सभी दक्षिणी राज्यों को एक अलग राष्ट्र की मांग के लिए अपनी आवाज उठानी होगी।"
असल बजट तो जुलाई में आएगा: फारूक अब्दुल्ला
नेशनल कॉन्फ्रेंस के सांसद फारूक अब्दुल्ला ने बजट को लेकर कहा, असल बजट तो जुलाई में आएगा। इसमें तो ऐसी कोई बात नहीं थी. यह तो पुराना ही बजट चल रहा है। हम उम्मीद करते हैं कि लोगों को फायदा हो। हमारी तो यही चाहत है कि वतन आगे बढ़े और तरक्की करे। जम्मू और कश्मीर में टूरिज्म भी बढ़े और बाहर से और लोग आएंगे।
शिवसेना नेता बोलीं - ठंडे मौसम में एफएम ने उम्मीदों पर फेरा ठंडा पानी
शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट) की नेता प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि इस ठंडे मौसम में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने देशवासियों की उम्मीदों (बजट को लेकर) पर ठंडा पानी फेरा है। वह ज्ञान, गरीब, युवा और नारी की बात करती हैं। लेकिन उन्होंने इन सबके लिए कुछ नहीं किया। यही इस सरकार की बदकिस्मती है कि पिछले 10 साल में जो वादे उनकी ओर से किए गए, वे पूरे न किए जा सके।
बताएं, सरकार ने 10 साल में क्या किया?: प्रियांक खड़गे
कांग्रेस चीफ मल्लिकार्जुन खड़गे के सांसद बेटे प्रियांक खड़गे ने पत्रकारों से कहा कि "मुझे इस बजट से कोई उम्मीद नहीं थी। पार्टी के नाते भी हमें इससे कोई आस नहीं थी। पिछले 10 साल में सिर्फ जुमलेबाजी हुई। बढ़िया नारे आए, अच्छी कैच करने वाली पंचलाइन्स लाई गईं, बड़े विज्ञापन भी दिए गए, मगर असल में कुछ नहीं हुआ। बीते साल में किसानों, श्रमिकों, युवा और महिलाओं के लिए लाए गए एक प्रोग्राम के बारे में मुझे बता दीजिए? क्या सरकार ने एफडीआई में सुधार, निवेश लाने और रोजगार को बढ़ाने लाने के लिए कुछ किया?"
"यह सिर्फ रूटीन प्रक्रिया": कार्ति चिदंबरम
कांग्रेस नेता कार्ति चिदंबरम ने इससे पहले कहा था कि उन्हें इस बजट से कोई बड़े ढांचागत बदलाव की उम्मीद नहीं है। समाचार एजेंसी पीटीआई से वह बोले, "यह एक किस्म की रूटीन प्रशासनिक प्रक्रिया है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि जब तक नई सरकार नहीं बन जाती है तब तक भारत सरकार के पास रूटीन मामले चलाने के लिए पर्याप्त रकम है। ऐसे में इस बजट से कोई बड़े सुधार या बदलाव की उम्मीद नहीं करता हूं। मुझे कोई आस नहीं है।" इस बीच, बीजेपी सांसद पीपी चौधरी ने बताया कि यह अंतरिम बजट है इसलिए इसमें सारी चीजें नहीं ली जा सकती हैं।
यह भाजपा का ‘विदाई बजट’: अखिलेश यादव
सपा चीफ और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने कहा है कि कोई भी बजट अगर विकास के लिए नहीं है और कोई भी विकास अगर जनता के लिए नहीं है तो वो व्यर्थ है। भाजपा सरकार ने जनविरोधी बजटों का एक दशक पूरा करके एक शर्मनाक रिकार्ड बनाया है, जो फिर कभी नहीं टूटेगा क्योंकि अब सकारात्मक सरकार आने का समय हो गया है। यह भाजपा का ‘विदाई बजट’ है।
'दावों में सच्चाई होती तो मोहताज नहीं होते 80 करोड़ लोग': मायावती
बसपा सुप्रीमो मायावती ने अंतरिम बजट 2024 को लेकर एक्स पर पोस्ट करते हुए कहा कि केंद्र सरकार की ओर से लोकसभा चुनाव से पूर्व, संसद में आज पेश बजट जमीनी वास्तविकता से दूर चुनावी लुभावने वाला ज़्यादा। इस प्रकार, देश की जनता की अपार गरीबी, बेरोजगारी व बढ़ती हुई मंहगाई आदि से त्रस्त जीवन को नकारना अति-दुःखद व चिंतनीय। उन्होंने लिखा कि इसके साथ ही, देश की अर्थव्यवस्था व विकास संबंधी सरकारी दावों व वादों में जमीनी सच्चाई होती तो फिर यहां के 80 करोड़ से अधिक लोगों को फ़्री में राशन का मोहताज जीवन जीने को मजबूर नहीं होना पड़ता।