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संविधान ने देश में बदलाव लाने में उल्लेखनीय मदद की: सीजेआई खन्ना

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को कहा कि वह हर चुनौती को चुनौती देते हैं और इसके लिए नये तरीके और नयी रणनीति इजाद करते रहते हैं। छात्रों, शिक्षकों और अभिभावकों के साथ ‘परीक्षा पे चर्चा’ के सातवें संस्करण में उन्होंने कहा कि वह अपनी सारी शक्ति देश का सामर्थ्य बढ़ाने में लगा रहे है क्योंकि जितना ज्यादा देशवासियों का सामर्थ्य बढ़ेगा, चुनौतियों को चुनौती देने की देश की ताकत और बढ़ती जाएगी।

मोदी ने यह भी कहा कि उनका कोई निजी स्वार्थ नहीं है इसलिए कठिन से कठिन निर्णय लेने में उन्हें कोई दुविधा नहीं होती है।

उत्तराखंड के उधमसिंहनगर स्थित खटीमा की एक छात्रा स्नेहा त्यागी सहित कुछ छात्रों ने प्रधानमंत्री से सवाल किया था कि अपने व्यस्त जीवन में वह दबाव को कैसे झेलते हैं और उनकी सकारात्मक ऊर्जा का रहस्य क्या है।

इसके जवाब में उन्होंने कहा कि हर एक के जीवन में अपनी स्थिति से अतिरिक्त ऐसी बहुत सी चीजें होती हैं जिसको उन्हें मैनेज करना होता है।

उन्होंने कहा कि वह उन लोगों में नहीं हैं जो बहुत बड़ी आंधी या कोई संकट आए तो उसके जाने या समाप्त होने का इंतजार करें। उन्होंने कहा, ‘‘ऐसे लोग जीवन में कुछ हासिल नहीं कर सकते।’’

उन्होंने कहा, ‘‘मेरी प्रकृति है और जो मुझे काफी उपयोगी भी लगी है। मैं हर चुनौती को चुनौती देता हूं। चुनौती जाएगी, स्थितियां सुधर जाएंगी... इसकी प्रतीक्षा करते हुए मैं सोया नहीं रहता हूं। इसके कारण मुझे नया-नया सीखने को मिलता है। हर परिस्थिति को हैंडल करने का नया तरीका, नया प्रयोग, नयी रणनीति इजाद करने की मेरी सहज विधा है।’’

प्रधानमंत्री ने 140 करोड़ देशवासियों को अपने विश्वास का सबसे बड़ा आधार करार देते हुए कहा कि कि उन्हें कभी नहीं लगता कि वह अकेले हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘अगर 100 मिलियन चुनौतियां हैं तो उसके बिलियंस ऑफ बिलियंस समाधान भी हैं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘मुझे हमेशा पता होता है कि मेरा देश, मेरे देश के लोग और उनका मस्तिष्क सामर्थ्यवान है और हम हर चुनौती को पार कर जाएंगे।’’

प्रधानमंत्री ने कहा कि इस वजह से उन्हें हर प्रकार की चुनौतियों से लड़ने की ताकत मिलती है।

उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए मैं अपनी शक्ति देश के सामर्थ्य को बढ़ाने में लगा रहा हूं। जितना ज्यादा मैं देशवासियों का सामर्थ्य बढ़ाता जाऊंगा, चुनौतियों को चुनौती देने की हमारी ताकत और बढ़ती जाएगी।’’

प्रधानमंत्री ने 25 करोड़ लोगों को गरीबी से बाहर निकाले जाने का उदाहरण देते हुए कहा कि हिंदुस्तान की हर सरकार को इस संकट से जूझना पड़ा है लेकिन वह इससे डरकर बैठ नहीं गए।

उन्होंने कहा, ‘‘मैंने उसका रास्ता खोजा। मैंने सोचा कि गरीबी तो तब हटेगी जब मेरा हर एक गरीब तय करेगा कि अब मुझे गरीबी को परास्त करना है और मेरी जिम्मेदारी बनती है कि मैं उसके सपने को सामर्थ्यवान बनाऊं। उसको पक्का घर दे दूं, शौचालय दे दूं, शिक्षा व्यवस्था दे दूं, आयुष्मान योजना दे दूं, उसके घर नल से जल पहुंचा दूं।’’

प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी कोशिश होती है कि देश की शक्ति और देश के संसाधनों पर भरोसा किया जाए।

कोरोना महामारी का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि यह इतना बड़ा संकट था कि पूरी दुनिया इसमें उलझ गई थी लेकिन उन्होंने कभी ताली-थाली बजाने तो कभी दीये जलाने का आह्वान कर देश की सामूहिक शक्ति को उभारने का प्रयास किया।

उन्होंने हाल के दिनों में खेल की विभिन्न स्पर्धाओं में भारत के प्रदर्शन में हुए सुधार का भी उल्लेख किया और कहा कि जब सही दिशा, सही रणनीति और सही नेतृत्व हो तो इसके परिणाम भी सही आते हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्होंने अपने जीवन में निराशा के सारे दरवाजे बंद कर रखे हैं और ना ही वह कभी डरकर बैठते हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘मैं मानता हूं कि जीवन में आत्मविश्वास से भरा हुआ होना चाहिए। और दूसरी बात है कि जब कोई निजी स्वार्थ नहीं होता है तो निर्णय में कभी दुविधा पैदा नहीं होती। यह एक बहुत बड़ी अमानत मेरे पास है। मेरा क्या? मुझे क्या? इससे मेरा कोई लेना-देना नहीं है। सिर्फ और सिर्फ देश के लिए करना है और आपके लिए करना है।’’

प्रधानमंत्री ने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि वह नहीं चाहते हैं कि उनके माता-पिता को जिन मुसीबतों से गुजरना पड़ा, उन मुसीबतों से वह भी गुजरें।

उन्होंने कहा, ‘‘हमें ऐसा देश बना करके देना है ताकि आपकी भावी पीढ़ी को भी... आपकी संतानों को भी लगे कि हम ऐसे देश के अंदर हैं जहां हम पूरी तरह से खेल सकते हैं, खिल सकते हैं। अपना सामर्थ्य दिखा सकते हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘जीवन में सकारात्मक सोच बहुत बड़ी ताकत होती है। बुरी से बुरी चीज में भी सकारात्मकता देखी जा सकती है। हमें उसको देखना चाहिए।’’

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