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नई दिल्ली: रिश्वत लेकर सवाल पूछने के मामले में टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही है। अरबपति व्यवसायी निरंजन हीरानंदानी के बेटे और रियल्टी, ऊर्जा और डेटा केंद्रों में रुचि रखने वाले हीरानंदानी समूह के सीईओ व्यवसायी दर्शन हीरानंदानी ने एक टीवी चैनल को दिए साक्षात्कार में अपने हलफनामे पर चुप्पी तोड़ी। उन्होंने सवालों के बदले पैसे और तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) सांसद महुआ मोइत्रा के साथ अपने संबंधों पर खुलकर बात की।

हीरानंदानी ने कहा, ‘मैंने हलफनामा दबाव में दायर नहीं किया है, जैसा कि महुआ बोल रही है वैसा नहीं है। मैंने अपनी स्वेच्छा से हलफनामा दायर किया है।’ उन्होंने कहा कि उन्होंने दुबई से लोकसभा सांसद मोहुआ मोइत्रा के अकाउंट तक पहुंच बनाई, ताकि अडानी ग्रुप पर निशाना साधते हुए सवाल पोस्ट किए जा सकें। दर्शन ने हलफनामे को लेकर कहा कि सच सामने लाना जरूरी था क्योंकि कैश फॉर क्वेरी के आरोपों में उनका नाम प्रत्यक्ष और व्यक्तिगत रूप से आया है, इसलिए उन्होंने इस बारे में बात की है। उन्हें और उनकी कंपनी को काफी शर्मिंदा होना पड़ रहा था।

उन्होंने कहा, ‘किसी भी आरोप में हम सच्चाई के साथ सामने आना पसंद करते हैं और मैंने इस मामले में यही किया है। ये हलफनामा मेरे द्वारा स्वेच्छा से साइन किया गया। किसी डर या पक्षपात में नहीं हुआ। इसका प्रमाण ये है कि मैंने इसे दुबई के इंडियन कॉन्सोलेट से नोटराइज करवाजा। इसे मेरे बयान के आधार पर मेरे वकीलों ने ड्राफ्ट किया। क्योंकि मैं दुबई में रहता हूं इसलिए मैंने इसे दुबई के इंडियन कॉन्सोलेट में नोटराइज करवाया। फिर मैंने इसे संसदीय आचार समिति को भेजा। एक कॉपी सीबीआई को भेजी और एक कॉपी निशिकांत दुबे को ईमेल के जरिए भेजी। जो भी हुआ वो मेरे हलफनामे में है।’
पिछले हफ्ते सुर्खियों में आए हलफनामे के जवाब में महुआ मोइत्रा ने आरोप लगाया था कि प्रधानमंत्री कार्यालय ने हीरानंदानी से जबरन एक खाली पेज पर हस्ताक्षर करवाए थे, जिसे बाद में लीक कर दिया गया था।

महुआ मोइत्रा ने दर्शन हीरानंदानी के आरोपों पर पूछे थे गंभीर सवाल

महुआ मोइत्रा ने प्रेस विज्ञप्ति में पूछा था कि सीबीआई और संसद की नैतिक समिति ने या फिर किसी भी जांच एजेंसी ने अभी तक दर्शन हीरानंदानी को समन नहीं भेजा है। ऐसे में उन्होंने ये हलफनामा किसे दिया? हलफनामा एक सफेद पेपर पर है ना कि किसी लेटरहेड पर या फिर नोटरी पर। देश का सबसे इज्जतदार और पढ़ा-लिखा बिजनेसमैन एक सफेद पेपर पर हस्ताक्षर क्यों करेगा अगर उसके सिर पर किसी ना बंदूक ना रखी हो तो?

कहा गया था कि पत्र में जो लिखा गया है, वह एक मजाक है। यह साफ है कि इसे पीएमओ में किसी के द्वारा लिखा गया है। मेरे कथित भ्रष्टाचार में हर विरोधी का नाम है। शार्दुल श्रॉफ, सिरिल श्रॉफ का भाई है और दोनों का बिजनेस के बंटवारे को लेकर झगड़ा है। सिरिल श्रॉफ, गौतम अदाणी का समधी है। राहुल गांधी और शशि थरूर दोनों लगातार सरकार पर निशाना साधते रहते हैं। सुचेता दलाल एक खोजी पत्रकार हैं और वह भी सरकार को हमेशा कटघरे में खड़ा करती रहती हैं। साफ है कि किसी ने कहा होगा कि 'सब का नाम घुसा दो, ऐसा मौका फिर नहीं आएगा।'

क्या है मामला

लोकसभा की आचार समिति दुबे की शिकायत पर गौर कर रही है और उसे मौखिक साक्ष्य दर्ज करने के लिए 26 अक्तूबर को उपस्थित होने के लिए कहा है। समिति को सौंपे गए एक हस्ताक्षरित हलफनामे में हीरानंदानी ने स्वीकार किया कि राज्य के स्वामित्व वाली दिग्गज कंपनी इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन द्वारा ओडिशा में गुजरात स्थित समूह की धामरा एलएनजी आयात सुविधा में क्षमता बुक करने के बाद अदाणी पर निशाना साधने के लिए मोइत्रा के संसदीय लॉगिन का उपयोग किया गया था।

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