नई दिल्ली: मध्य प्रदेश और राजस्थान के मुख्यमंत्रियों की तरफ से चुनाव से पहले की जा रही घोषणाओं के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई।
सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारों, केंद्र और ईसी को भेजा नोटिस
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने दोनों राज्य सरकारों, केंद्र और चुनाव आयोग को नोटिस जारी किया है। मुफ्त की घोषणाओं पर पहले से लंबित याचिका के साथ इस मामले को भी जोड़ा गया है। याचिकाकर्ता भट्टूलाल जैन का कहना था कि चुनावी लाभ के लिए बनाई जा रही योजनाओं से आखिरकार आम लोगों पर ही बोझ पड़ता है।
राजस्थान और मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव से पहले लोगों के लिए ऐसी योजनाओं का एलान किया जा रहा है, जिसमें उन्हें कैश दिया जाएगा। इसे 'फ्रीबिज' भी कहा जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने इसके खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई की। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि चुनाव से पहले सभी तरह के वादे किए जाते हैं. इस पर याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि यहां सिर्फ वादों की बात नहीं हो रही है। इसकी वजह से नेट वर्थ निगेटिव हो रहा है। नेता जिला जेल को बेचने तक की हद तक चले गए हैं।
सुनवाई के दौरान क्या-क्या हुआ?
चीफ जस्टिस ने कहा कि आप यहां पर क्यों आए हैं? क्या आपकी हाईकोर्ट में सुनवाई नहीं हो रही थी? याचिकाकर्ता के वकील ने इस पर कहा कि राजस्थान समेत दो राज्य ऐसे हैं, जहां पर फ्रीबिज के मामले सामने आए हैं। इस पर चीफ जस्टिस ने पूछा कि आप मध्य प्रदेश को लेकर चिंतित हैं? सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि सार्वजनिक हित क्या है और क्या नहीं, इसके बीच एक रेखा खींचने की जरूरत है। सरकार को कैश बांटने की इजाजत देने से ज्यादा क्रूर कुछ भी नहीं है। चुनाव से ठीक छह महीने पहले ये सब शुरू हो जाती हैं।
वकील ने कहा कि आखिरकार इसका बोझ टैक्स देने वाली जनता को उठाना पड़ता है। मामले पर सुनवाई करने के बाद चीफ जस्टिस ने केंद्र सरकार, चुनाव आयोग, मध्य प्रदेश और राजस्थान को नोटिस जारी किया। उनसे इस नोटिस का जवाब चार हफ्तों में मांगा गया है। उन्हें अपने वकील के साथ आने को भी कहा गया है।