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नई दिल्ली: पुरानी पेंशन बहाली के लिए देशभर से आए लाखों कर्मियों ने रविवार को दिल्ली के रामलीला मैदान में हुंकार भरी है। केंद्र और राज्य सरकारों के कर्मचारी संगठनों के नेताओं ने 'पेंशन शंखनाद महारैली' में कहा, अगर सरकार अपनी जिद नहीं छोड़ती है तो 'वोट की चोट' के आधार पर 'पुरानी पेंशन' बहाल कराएंगे। सरकारी कर्मियों, पेंशनरों और उनके रिश्तेदारों को मिलाकर यह संख्या दस करोड़ के पार चली जाती है। चुनाव में बड़ा उलटफेर करने के लिए यह संख्या निर्णायक साबित होगी।

दो-तीन दिन पहले ही दिल्ली पहुंचने लगे थे कर्मचारी

इस रैली में केंद्र एवं राज्यों के कर्मचारी संगठनों ने भाग लिया। हालांकि रैली का आयोजन नेशनल मूवमेंट फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम (एनएमओपीएस) के बैनर तले हुआ है। एनएमओपीएस के राष्ट्रीय अध्यक्ष विजय कुमार बंधु ने कहा कि पुरानी पेंशन, कर्मियों का अधिकार है। वे इसे लेकर ही रहेंगे। दिल्ली का रामलीला मैदान, सरकारी कर्मियों से खचाखच भरा हुआ था।

बता दें कि इस रैली की तैयारियां, करीब एक वर्ष से जा रही थी। कई राज्यों के कर्मचारी दो-तीन दिन पहले ही दिल्ली पहुंच गए थे। रेल, बस और दूसरे वाहनों में बैठकर कर्मचारी दिल्ली पहुंचे हैं। अनेक कर्मियों को रेल की तत्काल टिकट लेनी पड़ी। रविवार सुबह 11 बजे रामलीला मैदान पूरी तरह भर चुका था। रामलीला मैदान के चारों तरफ की सड़कों पर कर्मियों के जत्थे चल रहे थे। कर्मियों के द्वारा 'पेंशन' का नारा लगाया जा रहा था। इससे पहले केंद्रीय कर्मचारी संगठनों ने 10 अगस्त को रामलीला मैदान में एक विशाल रैली आयोजित की थी। अब नेशनल मूवमेंट फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम (एनएमओपीएस) द्वारा पेंशन शंखनाद महारैली आयोजित की गई है। विजय कुमार बंधु ने रैली की सफलता के लिए विभिन्न राज्यों का दौरा किया था। बंधु ने कहा, 'पुरानी पेंशन' बहाली का मुद्दा, अब जीवन मरण का प्रश्न बन चुका है। जब पांच राज्यों में पुरानी पेंशन बहाल हो सकती है तो पूरे देश में क्यों नहीं। देश की आंतरिक और सीमा की सुरक्षा में तैनात सीएपीएफ जवानों को भी पुरानी पेंशन से वंचित रखा जा रहा है। दिल्ली उच्च न्यायालय ने केंद्रीय अर्धसैनिक बलों को भारत संघ के शस्त्र बल मानते हुए उन्हें पुरानी पेन्शन का फायदा देने का फैसला सुनाया था। केंद्र सरकार ने उसे लागू करने की बजाए सुप्रीम कोर्ट में स्थगन आदेश ले लिया।

एनपीएस में रिटायर्ड कर्मियों को मिली इतनी पेंशन

एनपीएस में कर्मियों जो पेंशन मिल रही है, उतनी तो बुढ़ापा पेंशन ही है। एनपीएस स्कीम में शामिल कर्मी, 18 साल बाद रिटायर हो रहे हैं, उन्हें क्या मिला है। एक कर्मी को एनपीएस में 2417 रुपये मासिक पेंशन मिली है, दूसरे को 2506 रुपये और तीसरे कर्मी को 49 सौ रुपये प्रतिमाह की पेंशन मिली है। अगर यही कर्मचारी पुरानी पेंशन व्यवस्था के दायरे में होते तो उन्हें प्रतिमाह क्रमश: 15250 रुपये, 17150 रुपये और 28450 रुपये मिलते। एनपीएस में कर्मियों द्वारा हर माह अपने वेतन का दस प्रतिशत शेयर डालने के बाद भी उन्हें रिटायरमेंट पर मामूली सी पेंशन मिलती है। इस शेयर को 14 या 24 प्रतिशत तक बढ़ाने का कोई फायदा नहीं होगा। एआईडीईएफ के महासचिव सी.श्रीकुमार के मुताबिक, एनपीएस में पुरानी पेंशन व्यवस्था की तरह महंगाई राहत का भी कोई प्रावधान नहीं है। जो कर्मचारी पुरानी पेंशन व्यवस्था के दायरे में आते हैं, उन्हें महंगाई राहत के तौर पर आर्थिक फायदा मिलता है। एनपीएस में सामाजिक सुरक्षा की गारंटी भी नहीं रही। रिटायरमेंट के बाद सरकारी कर्मियों को जानबूझकर कष्टों में धकेला जा रहा है।

परिभाषित एवं गारंटी वाली 'ओपीएस' बहाली

एनएमओपीएस की महाराष्ट्र इकाई के सोशल मीडिया इंचार्ज, विनायक चौथे ने कहा, दिल्ली के रामलीला मैदान में देश के कौने कौने से सरकारी कर्मचारी पहुंचे हैं। ओपीएस की मांग को लेकर अभी तक की यह सबसे बड़ी रैली है। यह विशाल रैली, केवल पुरानी पेंशन बहाली के लिए है। केंद्र सरकार ने जो कमेटी गठित की है, उसमें ओपीएस का तो कहीं पर जिक्र ही नहीं है। वह तो एनपीएस में सुधार के लिए है, जबकि कर्मचारी पहले ही कह चुके हैं कि उन्हें ओपीएस से कम कुछ भी मंजूर नहीं है। सरकारी कर्मियों का केवल एक ही मकसद है, बिना गारंटी वाली 'एनपीएस' योजना को खत्म किया जाए और परिभाषित एवं गारंटी वाली 'पुरानी पेंशन योजना' को बहाल किया जाए। ओपीएस में हर दस साल में वेतन और पेंशन रिवाइज होते हैं। नया वेतन आयोग, अपनी सिफारिशें देता है। ये सब बातें एनपीएस में शामिल नहीं हैं।

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