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संविधान ने देश में बदलाव लाने में उल्लेखनीय मदद की: सीजेआई खन्ना

नई दिल्ली: देशभर में कॉमन मेडिकल टेस्ट यानि नीट पर बढ़ते विवाद के बीच केंद्र सरकार ने इसे अगले साल तक टालने के लिए अध्यादेश को मंजूरी दे दी है। इस बाबत शुक्रवार सुबह ही कैबिनेट की बैठक हुई जिसमें राज्यों के बोर्ड को एक साल तक नीट से छूट मिल गई है। गौरतलब है कि नीट पर सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले का कई राज्यों ने विरोध किया है। इसी के बाद इस मामले को लेकर विशेष आदेश लाने की बात कही गई जिसे आज (शुक्रवार) सुबह कैबिनेट की मंज़ूरी मिल गई। उधर याचिकाकर्ताओं के वकील अमित कुमार ने कहा है कि कैबिनेट के इस अध्यादेश के खिलाफ वह 24 जुलाई से पहले सुप्रीम कोर्ट जाएंगे। इन सबके बीच अरविंद केजरीवाल ने अध्यादेश के खिलाफ पीएम नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखी है। उनका आरोप है कि कई नेता निजी मेडिकल कॉलेजों में गोरखधंधा कर रहे हैं और ऐसे में नीट पर अध्यादेश देश के खिलाफ होगा। केजरीवाल ने चिट्ठी में यह भी कहा है कि अध्यादेश लाने का मतलब है कि सरकार काला धन रखने वालों के साथ है। इससे पहले बुधवार 18 मई को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने प्रधानमंत्री से मुलाक़ात के बाद इस मामले पर ट्वीट किया था कि 'मैंने नरेन्द्र मोदी जी से इसका समाधान निकालने की गुज़ारिश की और इस पर जल्द फ़ैसला करने को लेकर उनके सकारात्मक रुख़ के लिए मैं उनका शुक्रगुज़ार हूं।' गौरतलब है कि कई राज्य नीट पर सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के ख़िलाफ़ हैं। सुप्रीम कोर्ट का आदेश था कि 2016-17 से एमबीबीएस, बीडीएस के लिए नीट परीक्षा का आयोजन किया जाए।

1 मई को नीट परीक्षा का पहला चरण हुआ और 24 जुलाई को नीट परीक्षा का दूसरा चरण होगा। 17 अगस्त को नीट परीक्षा के नतीजे आएंगे और 30 सितंबर तक दाखिले की प्रक्रिया पूरी की जाएगी। राज्य सरकारों ने अलग प्रवेश परीक्षा की मांग के लिए अपील की थी जिसे खारिज कर दिया गया था।

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