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संविधान ने देश में बदलाव लाने में उल्लेखनीय मदद की: सीजेआई खन्ना

नई दिल्‍ली: पश्चिम बंगाल, असम, तमिलनाडु, केरल और पुडुचेरी में हुए विधानसभा चुनाव की मतगणना गुरुवार सुबह शुरू हो जाएगी और एक घंटे बाद से रुझान मिलने लगेंगे। 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव को राष्ट्रीय एवं क्षेत्रीय राजनीति के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है, जिसमें ममता बनर्जी, जयललिता, तरुण गोगोई, एम करुणानिधि, ओमन चांडी, वीएस अच्युतानंदन, बुद्धदेव भट्टाचार्य, सर्बानंद सोनोवाल, एन रंगासामी जैसे दिग्गज नेताओं की किस्मत का फैसला होगा। चुनाव आयोग के अधिकारियों ने बताया कि मतगणना गुरुवार सुबह आठ बजे शुरू होगी और तीन बजे तक मतगणना का कार्य पूरा हो जाएगा। उम्मीद है कि दोपहर 12 बजे तक विजेताओं की एक स्पष्ट तस्वीर सामने आ जाएगी और यह भी साफ हो जाएगा कि पश्चिम बंगाल में ममता दीदी की पकड़ कायम है या वाममोर्चा-कांग्रेस गठबंधन पुरानी हैसियत वापस पाने में सफल रहा। इस चुनाव में पहली बार पूर्वोत्तर के किसी राज्य में अपनी सरकार बनाने की भाजपा की दावेदारी पर भी स्थिति साफ होगी। तमिलनाडु में भी जयललिता के नेतृत्व वाले अन्नाद्रमुक की सत्ता में कायम रहने की कवायद और उसे मिली करूणानिधि नीत द्रमुक की चुनौती पर से पर्दा हटेगा और यह भी साफ होगा कि केरल में कांग्रेस नीत यूडीएफ और वाममोर्चा की एलडीएफ में विजेता कौन है।

टेलीविजन चैनलों में 16 मई को प्रदर्शित चुनाव बाद के विभिन्न सर्वेक्षणों के अनुसार असम, तमिलनाडु और केरल में परिवर्तन के आसार व्यक्त किए गए हैं। पूर्वोत्तर राज्य असम में पूर्वानुमान व्यक्त किया गया है कि भाजपा वहां कांग्रेस को बाहर का रास्ता दिखाकर पहली बार सरकार गठित कर सकती है। चुनाव बाद के सर्वेक्षणों के अनुसार कांग्रेस को केरल में भी हार का सामना करना पड़ेगा। तमिलनाडु में अनुमान व्यक्त किया गया है कि द्रमुक वहां अन्नाद्रमुक को हराकर सत्ता प्राप्त कर सकती है। चुनाव बाद के सर्वेक्षणों के अनुसार केवल पश्चिम बंगाल में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के नेतृत्व में तृणमूल कांग्रेस की लगातार दूसरी बार जीत का पूर्वानुमान व्यक्त किया गया है। सर्वेक्षणों में कांग्रेस के लिए राहत की बात यह है कि उसे केंद्र शासित प्रदेश पुडुचेरी में जीत मिलने की उम्मीद व्यक्त की गई है जहां उसके और द्रमुक के गठबंधन के सत्ता में आने की संभावना है। असम विधानसभा की 126 सीटों की चुनावी तस्वीर 19 मई को मतगणना के साथ ही साफ हो जाएगी और इसके साथ ही मुख्यमंत्री तरुण गोगोई समेत 8,300 उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला भी हो जाएगा और यह भी स्पष्ट हो जायेगा कि क्या भाजपा पहली बार पूर्वोत्तर के किसी राज्य में सरकार बनाने की स्थिति में होगी या लगातार चौथी बार राज्य में कांग्रेस की ही सरकार बनेगी। राज्य में कोई सियासी पार्टी खम ठोक कर सरकार बनाने का दावा नहीं कर रही है और एक्जिट पोल में भाजपा के सत्ता में आने का पूर्वानुमान व्यक्त किया गया है। कांग्रेस बोडोलैंड क्षेत्र को छोड़कर अन्य भागों में अपने दम पर चुनाव लड़ रही है जबकि भाजपा ने असम गण परिषद के साथ गठबंधन किया है और जबकि एच मोहिलारी के नेतृत्व वाले बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट (बीपीएफ) के साथ उसका गठबंधन पहले से था। जेडीयू और आरजेडी ने बदरूद्दीन अजमल की पार्टी एआईयूडीएफ के साथ तालमेल किया है। निर्वाचन आयोग के अधिकारियों ने बताया कि मतगणना सुबह आठ बजे से अपराह्न तीन बजे तक होगी। निर्वाचन आयोग के दिशानिर्देशों के अनुसार डाक मतपत्रों की गिनती के आधे घंटे बाद ईवीएम से मतगणना की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। वरिष्ठ निर्वाचन अधिकारियों एवं उम्मीदवारों के मतगणना एजेंटों की मौजूदगी में ‘मत इकाई’ का स्विच चालू किया जाता है और ‘रिजल्ट’ कमांड की ‘की’ दबाई जाएगी ताकि प्रति मशीन परिणाम प्राप्त किए जा सकें। जहां ‘वोटर वेरिफाइड पेपर ऑडिट ट्रेल’ (वीवीपीएटी) का इस्तेमाल किया गया है वहां मतगणना एजेंट मतदान मशीन से जुड़े ड्रॉप बॉक्स में कागज की पर्चियों की गणना की मांग कर सकते हैं लेकिन अंतिम गणना निर्वाचन अधिकारी ही करता है। परिणामों की घोषणा के बाद विजेता उम्मीदवारों के नामों का राजपत्र में उल्लेख किया जाएगा। राजपत्र अधिसूचना राज्यों में आगामी विधानसभाओं के गठन की प्रक्रिया शुरू करेगी। पश्चिम बंगाल विधानसभा का चुनाव छह चरणों में सम्पन्न हुआ है और अब इस बात पर निगाहे टिक गई हैं कि इस चुनाव में जीत आखिर किसकी होगी और पलड़ा किसका भारी रहेगा और इसके कारणों की भी विवेचना होगी। कांग्रेस और वाम दलों में तालमेल होने के बाद तृणमूल के समक्ष एक मजबूत गठबंधन की चुनौती है। पश्चिम बंगाल में इस बार का विधानसभा चुनाव इस मायने में ख़ास है कि भारतीय जनता पार्टी भी पूरे दमख़म के साथ मैदान में उतरी है और इसलिए सियासी लड़ाई और दिलचस्प हो गई है। पश्चिम बंगाल में चुनाव प्रचार की कमान तृणमूल कांग्रेस की ओर से जहां मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने संभाली, वहीं कांग्रेस की ओर से स्थानीय नेताओं के अलावा कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने और वाममोर्चा से बुद्धदेव दासगुप्ता, विमान बोस, सीताराम येचुरी समेत कई दिग्गजों ने प्रचार किया। भाजपा की ओर से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह, गृह मंत्री राजनाथ सिंह समेत कई नेताओं ने प्रचार किया। पश्चिम बंगाल विधानसभा की 294 सीटों के लिये गुरुवार सुबह आठ बजे 90 स्थानों पर मतों की गणना शुरू हो जाएगी। प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र के लिये एक एक गणना प्रेक्षक नियुक्त किया गया है। इलेक्ट्रानिक कारपोरेशन आफ इंडिया (ईसीआईएल) के इंजीनियर भी गणना केन्द्रों पर उपस्थित रहेंगे ताकि किसी तरह की तकनीकी दिक्कत होने पर वे तुरंत उसे ठीक कर सकें। केन्द्रीय सुरक्षा बलों की 78 कंपनियां मतदान मशीनों की सुरक्षा में तैनात की गई हैं। तमिलनाडु में विधानसभा चुनाव में इस बार मुख्यमंत्री जे जयललिता सत्ता में बने रहने की उम्मीद के साथ मैदान में उतरी हैं तो द्रमुक के मुखिया करुणानिधि राज्य में सत्ता परिवर्तन की पुरानी परिपाटी के अनुरूप फिर से मुख्यमंत्री बनने की आशा लगाए हुए हैं। पीपुल्स वेलफेयर फंट्र की वजह से मुकाबला कुछ हद तक त्रिकोणीय नजर आ रहा है। राज्य की 232 सीटों के लिए बीते 16 मई को मतदान हुआ और इसमें 69 फीसदी लोगों ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया। कल मुख्यमंत्री जे जयललिता और द्रमुक प्रमुख एम करुणानिधि समेत 3700 से अधिक उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला होगा जहां 5.50 करोड़ मतदाताओं के लिए करीब 65000 मतदान केंद्रों बनाए गए थे। तमिलनाडु के 32 जिलों में 234 विधानसभा सीटें हैं लेकिन मतदान केवल 232 सीटों के लिए हो रहा है क्योंकि चुनाव आयोग ने मतदाताओं के बीच धन बांटे जाने की शिकायतों के बाद अरावाकुरिची और तंजावुर विधानसभा सीटों के लिए मतदान टालने का निर्णय लिया था। इन सीटों के लिए 23 मई को मतदान होगा। केरल में विधानसभा चुनाव संपन्न होने के बाद अब सबकी नजरें गुरुवार को होने वाली मतगणना पर टिक गयी हैं और सबके जेहन में यही सवाल है कि क्या केरल फिर अपना इतिहास दोहराएगा जहां हर पांच साल के अंतराल में सत्ता यूडीएफ और एलडीएफ के पास जाती रहती है। पश्चिम बंगाल में चुनाव प्रचार की कमान तृणमूल कांग्रेस की ओर से जहां मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने संभाली, वहीं कांग्रेस की ओर से स्थानीय नेताओं के अलावा कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने और वाममोर्चा से बुद्धदेव दासगुप्ता, विमान बोस, सीताराम येचुरी समेत कई दिग्गजों ने प्रचार किया। भाजपा की ओर से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह, गृह मंत्री राजनाथ सिंह समेत कई नेताओं ने प्रचार किया। पश्चिम बंगाल विधानसभा की 294 सीटों के लिए गुरुवार सुबह आठ बजे 90 स्थानों पर मतों की गणना शुरू हो जाएगी। प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र के लिये एक एक गणना प्रेक्षक नियुक्त किया गया है। इलेक्ट्रानिक कारपोरेशन आफ इंडिया (ईसीआईएल) के इंजीनियर भी गणना केन्द्रों पर उपस्थित रहेंगे ताकि किसी तरह की तकनीकी दिक्कत होने पर वे तुरंत उसे ठीक कर सकें। केन्द्रीय सुरक्षा बलों की 78 कंपनियां मतदान मशीनों की सुरक्षा में तैनात की गयी हैं। तमिलनाडु में विधानसभा चुनाव में इस बार मुख्यमंत्री जे जयललिता सत्ता में बने रहने की उम्मीद के साथ मैदान में उतरी हैं तो द्रमुक के मुखिया करुणानिधि राज्य में सत्ता परिवर्तन की पुरानी परिपाटी के अनुरूप फिर से मुख्यमंत्री बनने की आशा लगाए हुए हैं। पीपुल्स वेलफेयर फंट्र की वजह से मुकाबला कुछ हद तक त्रिकोणीय नजर आ रहा है। राज्य की 232 सीटों के लिए बीते 16 मई को मतदान हुआ और इसमें 69 फीसदी लोगों ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया। कल मुख्यमंत्री जे जयललिता और द्रमुक प्रमुख एम करूणानिधि समेत 3700 से अधिक उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला होगा जहां 5.50 करोड़ मतदाताओं के लिए करीब 65000 मतदान केंद्रों बनाए गए थे। तमिलनाडु के 32 जिलों में 234 विधानसभा सीटें हैं लेकिन मतदान केवल 232 सीटों के लिए हो रहा है क्योंकि चुनाव आयोग ने मतदाताओं के बीच धन बांटे जाने की शिकायतों के बाद अरावाकुरिची और तंजावुर विधानसभा सीटों के लिए मतदान टालने का निर्णय लिया था। इन सीटों के लिए 23 मई को मतदान होगा। केरल में विधानसभा चुनाव संपन्न होने के बाद अब सबकी नजरें कल होने वाली मतगणना पर टिक गयी हैं और सबके जेहन में यही सवाल है कि क्या केरल फिर अपना इतिहास दोहराएगा जहां हर पांच साल के अंतराल में सत्ता यूडीएफ और एलडीएफ के पास जाती रहती है। चुनाव विश्लेषक ही नहीं, बल्कि देशभर के लोग केरल के विधानसभा चुनाव परिणामों का बड़ी उत्सुकता से इंतजार करते हैं। इस बार भी ऐसा ही है। लोगों की जुबान पर यही सवाल है कि क्या इस बार भी राज्य में सत्ता कांग्रेस नीत यूडीएफ के हाथों से निकलकर विपक्षी माकपा नीत एलडीएफ के पास जाएगी क्योंकि चुनाव बाद सर्वेक्षण (एग्जिट पोल) भी कुछ ऐसा ही संकेत देते नजर आते हैं। लोगों की निगाह भाजपा पर भी है जिसने केरल में अपना खाता खोलने के लिए पहली बार अपना पूरा दमखम झोंक दिया है। केरल में 140 विधानसभा सीटों के लिए 16 मई को हुए विधानसभा चुनाव में 2.61 करोड़ मतदाताओं में से 71.7 प्रतिशत ने मतदान किया है। पुडुचेरी विधानसभा चुनाव में इस बार भी जीत दर्ज करके मुख्यमंत्री एन रंगासामी एक बार फिर से इस केंद्र शासित प्रदेश की सत्ता संभालने और चौथी बार मुख्यमंत्री बनने की उम्मीद लगाए हुए हैं। हालांकि अन्नाद्रमुक के अलग चुनाव लड़ने और द्रमुक-कांग्रेस गठबंधन के चलते उनके लिए बड़ी चुनौती पैदा हो गई है। यहां की कुल 30 सीटों के लिए बीते 16 मई को मतदान हुआ। इस केद्र शासित प्रदेश के 4.94 लाख महिलाओं समेत कुल 9.41 लाख मतदाताओं ने 96 निर्दलीय उम्मीदवारों सहित 344 उम्मीदवारों के चुनावी भाग्य का फैसला ईवीएम में बंद कर दिया था। इस चुनाव में मुख्यमंत्री एवं एआईएनआरसी संस्थापक एन रंगासामी, विपक्ष के नेता एवं पूर्व मुख्यमंत्री वी वैतिलिंगम (कांग्रेस), पीसीसी नेता ए नमाशिवायम और पुडुचेरी विधानसभा के अध्यक्ष वी सबापति समेत कई महत्वपूर्ण उम्मीदवार मैदान में है।

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