नई दिल्ली: रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने शनिवार को कहा कि अहम क्षेत्र में रणनीतिक साझेदारी करते समय सरकार चिंताओं को ध्यान में रखेगी और उसने अगले दो साल में भारत का रक्षा निर्यात वर्तमान 33 करोड़ डॉलर से बढ़ाकर दो अरब डॉलर करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। पर्रिकर ने यहां एक संगोष्ठी में हालांकि, इस प्रस्तावित रणनीतिक साझेदारी पर एतराज कर रही रक्षा कपंनियों पर यह कहते हुए प्रहार किया ‘खिड़कियां सुपरिभाषित हैं, कुछ लोग जिन्हें अहसास हो गया कि वे एकल खिड़की से निकल नहीं पायेंगे, उन्होंने यह बात फैलाना शुरू कर दिया है कि रक्षा मंत्रालय रणनीतिक साझेदारियों को लेकर समस्या का सामना कर रहा है।’ उन्होंने कहा कि उन्हें अतिविशिष्ट जनों से रणनीतिक साझेदारी के बारे में चिंता प्रकट करते हुए कई पत्र मिले हैं। कई बार पत्रों में एक जैसी सामग्री होती है जो यह दर्शाता है कि अतिविशिष्ट जन किसी अन्य द्वारा लिखे पत्रों पर महज हस्ताक्षर कर रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘उनकी चिंताओं का अच्छी तरह समाधान किया गया है। हम उन चिंताओं को ध्यान में रख रहे हैं। हम शीघ्र ही (रणनीतिक साझेदारी पर चर्चा के लिए) कुछ समूहों के साथ दूसरे दौर के लिए बैठक कर रहे हैं।
मैं रणनीतिक साझेदारी माडल को आगे तक ले जाने और कुछ परियोजनाओं पर रणनीतिक साझेदारी की मंशा रखता हूं जहां अन्यथा कोई हल नहीं है।’ रक्षा मंत्री ने कहा कि वह पहले से स्थापित माडल (निविदा का) का पालन करना पसंद करेंगे लेकिन कुछ समस्याएं हैं। उन्होंने कहा, ‘आप कैसे एक लड़ाकू विमान का दूसरे लड़ाकू विमान से तुलना कर सकते हैं?’ रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन के पूर्व प्रमुख वी के आत्रे ने इस साल पहले रक्षा मंत्रालय को एक रिपोर्ट सौंपी थी और रणनीतिक साझेदारी के वास्ते घरेलू निजी कंपनियों के चयन के वास्ते दिशानिर्देश की सिफारिश की है। लेकिन भारतीय निजी रक्षा उद्योग इस मुद्दे पर बंटा हुआ है, जहां कुछ बड़ी कंपनियां इसकी जोरदार पैरवी कर रही है वहीं अन्य कम से कम पांच साल के लिए रुकना चाहती हैं।